नैनीताल हाईकोर्ट: हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत,प्रोफेसर दंपत्ति के स्थानांतरण आदेश पर लगाई रोक, कहा- अधिकारी खुद को न्यायाधीश ने समझें

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पिथौरागढ़ पीजी कॉलेज में जबरन संबद्ध किए गए उत्तरकाशी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रमेश सिंह और उनकी पत्नी को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उच्च न्यायालय ने दंपती के तबादला आदेश और उनके खिलाफ चल रही 03 विभागीय जांच पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने उच्च शिक्षा विभाग के अनु सचिव और जांच अधिकारी को  फटकार लगाते हुए कहा है कि अधिकारी स्वयं को न्यायाधीश न समझें। मामले की अगली सुनवाई 11 जून को होगी।

याचिकाकर्ता डॉ. रमेश सिंह व उनकी पत्नी दोनों उत्तरकाशी के रामचंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उच्च शिक्षा विभाग ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल के दिन कॉलेजों को खोले रखने और कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए थे लेकिन महाविद्यालय की प्रभारी प्रधानाचार्य मधु थपलियाल ने यह कार्यक्रम 12 अप्रैल को आयोजित करने का आदेश दिया जिसका उन्होंने विरोध किया।

 

याचिका में कहा गया कि इस विरोध के चलते प्रभारी प्रधानाचार्य ने दो वर्ष पुराने एक झूठे यौन शोषण के प्रकरण का सहारा लेकर प्रो. रमेश सिंह को जबरन दीर्घकालिक अवकाश पर भेज दिया जबकि इस मामले में न तो कोई शिकायत थी और ना ही कोई प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्रो. रमेश सिंह ने इस आदेश को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर पहले ही न्यायालय ने कॉलेज के आदेश पर रोक लगा दी थी लेकिन उसके बाद 16 अप्रैल को उच्च शिक्षा विभाग के अनु सचिव ने एक नया आदेश जारी कर प्रो. रमेश सिंह और उनकी पत्नी को पिथौरागढ़ के लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संबद्ध कर दिया।

इस आदेश को भी प्रो. सिंह ने पुनः न्यायालय में चुनौती दी। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी कर कहा कि कोई अधिकारी स्वयं को न्यायाधीश समझने की भूल न करे।

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