
बारिश शुरू होते ही आलूखेत की खिसक रही पहाड़ी डराने लगी है। पहाड़ी पर फिर से भूस्खलन शुरू हो गया है। मिट्टी बलियानाले की ओर गिर रही है, जिससे नाले के जाम होने का भी खतरा है। इधर भूस्खलन से गांव के कई घरों और खेती की जमीन को भी खतरा बना हुआ है।
मानसून सीजन में नैनीताल के कई क्षेत्रों में पहाड़ी दरकने की घटनाएं होती हैं। आलूखेत, खूपी, कैलाखान और भूमियाधार में हर साल बरसात में भूस्खलन और पहाड़ टूटने के मामले सामने आते हैं। इससे कई मकानों को खतरा रहता है। भूस्खलन से हर साल खेती की जमीन का भी कटाव होता है।
प्रशासन यहां हर बार अस्थायी काम कराता है, लेकिन मानसून सीजन में दोबारा फिर वही समस्या सिर उठाने लगती है। इस बार बारिश का सीजन शुरू होते ही आलूखेत की पहाड़ी से मिट्टी दरकने लगी है। यह मिट्टी बलियानाले की ओर गिर रही है जिससे नाले का बहाव प्रभावित होने का खतरा है। आलूखेत की पहाड़ी पर 25 से 30 आवासीय मकान और कई नाली खेती की जमीन भी है।
हेलीपैड को भी खतरा
आलूखेत की पहाड़ी पर ही प्रशासन ने हेलीपैड का निर्माण कराया है। यहां जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर उतरते हैं। अब पहाड़ी दरकने से इसको भी खतरा बना हुआ है।
भवाली रोड पर टूटकर गिर चुकी है पहाड़ी
कई वर्ष पहले भवाली रोड पर आलूखेत से जुड़ी पहाड़ी टूटकर गिर गई थी। इस कारण कई दिनों तक मार्ग बाधित रहा। कैंट क्षेत्र में आने वाली पहाड़ी की जिला प्रशासन ने मरम्मत कराई थी।
आलूखेत में भूस्खलन की समस्या का समाधान करने का प्रयास चल रहा है। इसका यूएलएमएमसी ने सर्वे किया है। उसी संस्था को ही डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। – बृजेंद्र कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई