मोदी 3.0- भाजपा के नियंत्रण में सीसीएस से जुड़े सभी शक्तिशाली मंत्रालय,सबकुछ तय हुआ..

Spread the love

मोदी 3.0- भाजपा के नियंत्रण में सीसीएस से जुड़े सभी शक्तिशाली मंत्रालय,सबकुछ तय हुआ..

इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने दम पर पूर्ण बहुमत का आंकड़ा पार नहीं किया। भाजपा को कुल 240 सीट पर जीत हासिल हुई। आम चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) किंगमेकर के रूप में उभरकर सामने आईं। तेदेपा ने 16 और जदयू ने 12 सीट पर जीत दर्ज की। इन दोनों दलों के बिना केंद्र में एनडीए सरकार बनाना मुश्किल होता। ऐसे में इन सहयोगी दलों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देना ही पड़ेगा। इसे लेकर भाजपा, तेदेपा, जदयू और अन्य दलों के बीच सबकुछ तय हुआ।

भाजपा ने चारों मंत्रालयों को अपने पास रखा
एनडीए के ये दोनों सहयोगी दल केंद्र में बड़ी भूमिका चाहते थे। लेकिन भाजपा ने मजबूती से अपनी बात रखते हुए कहा कि वह गठबंधन धर्म निभाएगी, लेकिन सिर झुकाकर सरकार नहीं चलाएगी। भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (सीसीएस) से जुड़े चारों मंत्रालयों गृह, रक्षा, वित्त और विदेश अपने पास रखने का फैसला किया। किसी भी सरकार को चलाने के लिए इन मंत्रालयों पर नियंत्रण होना जरूरी है। ये मंत्रालय ही मिलकर सीसीएस (कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी) का गठन करते हैं और बड़े मामलों पर फैसले लेते हैं।

सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर सीसीएस का अंतिम फैसला
यह समिति देश के सुरक्षा मामलों पर फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। जबकि गृहमंत्री, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इसके सदस्य। सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर अंतिम फैसला सीसीएस का ही होा है। साथ ही कानून व व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर भी सीसीएस ही अंतिम फैसला लेता है।

और पढ़े  Terror Attack:- अमेरिका के मॉल में हुआ आतंकी हमला, कई लोगों के हताहत होने की खबर, FBI चीफ बोले- जांच जारी

सीसीएस आंतरिक या बाहरी सुरक्षा पर प्रभाव डालने वाले मामलों को निपटाती है। साथ ही देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ समझौते से जुड़े मामलों भी संभालती है। इसके अलावा ये समिति आर्थिक, राजनीतिक और परमाणु उर्जा से जुड़े ऐसे सभी मामलों को निपटाती है, जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। ये समिति राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संस्थानों या निकायों में अधिकारियों की नियुक्ति पर भी फैसला लेती है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति भी शामिल है।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!