कार्तिक मेले का दूसरा चरण गुरुवार को पंचकोसी परिक्रमा के साथ शुरू हो गया। पंचकोसी परिक्रमा का शुभ मुहूर्त गुरुवार रात 8:30 बजे से था लेकिन भक्तों ने मुहूर्त से करीब डेढ़ घंटे पूर्व ही सात बजे से परिक्रमा शुरू कर दी।जैसे-जैसे रात सघन होती गई, आस्था का पथ भी भक्तों की भीड़ से सघन होता गया। पूरी रात रामनगरी की आध्यात्मिक परिधि भक्तों के जयकारों से गूंजती रही।वही इस दौरान विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने भक्तों के साथ जय श्रीराम के नारे लगाकर परिक्रमा मार्ग चौराहे से परिक्रमा शुरू की।श्रद्धालुओं ने सरयू स्नान कर हनुमानगढ़ी सहित प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन भी किया है।दरसअल यहा परिक्रमा उदया चौराहा, नयाघाट, रामघाट, बूथ नंबर चार, हलकारा का पुरवा चौराहा आदि स्थलों से भक्तों ने धरती मां को शीश नवाकर शुरू की। आधी रात तक परिक्रमा पथ भक्तों से पट गया था।परिक्रमा शुक्रवार की शाम 6:43 बजे तक संचालित होगी। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, रामनगरी में वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।वही डीएम नीतिश कुमार के मुताबिक पंचकोसी परिक्रमा मार्ग को 3 जोन में बांटा गया है। जिसमें जोनल, सेक्टर, सब सेक्टर, स्टैटिक मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं। एक दिन पहले अयोध्या में 30 लाख राम भक्तों ने 14 कोसी परिक्रमा पूरी की थी।बता दें कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी देवोत्थान एकादशी के रूप में मनाई जाती है। दीपावली के बाद आने वाली इस एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं।आषाढ शुक्ल एकादशी की तिथि को देव शयन करते हैं और इस कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठते हैं। इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं। कहा जाता है कि भगवान विष्णु चार महीने पश्चात वो कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। विष्णुजी के शयन काल के चार माह में विवाह आदि अनेक मांगलिक कार्यों का आयोजन निषेध है।