13 अक्तूबर को मनाया जाएगा अखंड सौभाग्य का प्रतीक करवाचौथ व्रत।

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अखंड सौभाग्य का प्रतीक प्रतीक करवाचौथ पर्व और गणेश चतुर्थी व्रत बृहस्पतिवार 13 अक्तूबर को मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। कृतिका नक्षत्र शाम 6 बजकर 41 मिनट तक होने और पूजा के समय रोहिणी नक्षत्र होने से व्रत के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है। व्रत को श्रेष्ठ गृहस्थ जीवन की रीढ़ कहा गया है जिसे पति पत्नी दोनों कर सकते हैं। चंद्रोदय रात 8 बजे होने से पूजा के लिए इसके बाद का समय शुभ है। शांति, सुख, समृद्धि, अखंड सौभाग्य, धन, विद्या, बुद्धि और पुत्र प्राप्ति के लिए यह व्रत हमेशा करना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस दिन वृष राशि में चंद्रमा होने की वजह से मिथुन, तुला, कुंभ राशि के जातकों को पहली बार इस व्रत को नहीं शुरू नहीं करना चाहिए। इस दिन श्रद्धा पूर्वक व्रत कर रात को भगवान गणेश, लक्ष्मी, शिव, पार्वती, कार्तिकेय भगवान की पूजा सामर्थानुसार करनी चाहिए। चंद्रमा की पूजा कर शंख में दूध या गंगाजल डालकर कर अर्घ्य अर्पित करें।11 दूब मिष्ठान, फल, नैवेद्य, दक्षिणा, वस्त्र, पान सुपारी, पंचमेवा धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें। इस दौरान विघ्नहर्ता गणपति भगवान से पति, पत्नी और बच्चों के दीर्घायु जीवन की कामना कर 11 घी के दीपक से चंद्रमा और गणेश गणेश भगवान की आरती उतार कर चंद्रमा के दर्शन करने से कोटि कोटि यज्ञों का फल प्राप्त होता है। घर में इस दिन गमले में दूब का पौधा रोपने से रोग शोक का नाश होता हैपीले, लाल और सफेद कपड़ों के परिधान पहन कर पूजा करने से घर के सभी दुखों का अंत होता है। इधर, ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि करवाचौथ के दिन माता करवा देवी के साथ भगवान शिव परिवार और चंद्रमा की पूजा अर्चना कर उनसे कामना की जाती है।

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