कर्नाटक Election- बोम्मई सरकार से नाराजगी बीजेपी पर पड़ गई भारी, बंगलूरू छोड़ सभी जगह पिछड़ी
राज्य सरकार के प्रति मतदाताओं की नाराजगी और मुस्लिमों का कांग्रेस को एकजुट समर्थन कर्नाटक में मोदी मैजिक पर भारी पड़ा। लिंगायत प्रभाव वाले इलाके बॉम्बे कर्नाटक में औसत प्रदर्शन और मध्य कर्नाटक में बेहद बुरे प्रदर्शन ने भाजपा के दक्षिण भारत का इकलौता किला बचाने के सपने पर ग्रहण लगा दिया। बंगलूरू इलाके को छोड़कर शेष सभी पांच इलाकों में भाजपा को तगड़ा झटका लगा है।
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि राज्य सरकार और स्थानीय नेताओं से मतदाताओं की नाराजगी की काट नहीं खोजी जा सकी। आरक्षण खत्म करने से नाराज मुसलमान कांग्रेस के पक्ष में एकजुट हो गए, मगर भाजपा बहुसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण नहीं करा पाई। लिंगायत प्रभाव वाले इलाकों में खराब प्रदर्शन बताता है कि येदियुरप्पा सहित कद्दावर लिंगायत नेता अपने स्वजातीय वोट साधने में नाकाम रहे।
भाजपा अपने प्रभाव वाले इलाकों में भी बुरी तरह पिछड़ी। पुराना मैसूर यानी दक्षिण कर्नाटक में प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। पार्टी को केवल बंगलूरू शहर में तीन सीट का लाभ मिला। वहीं, मध्य कर्नाटक में 14, ओल्ड मैसूर में 11, हैदराबाद कर्नाटक में 5, बॉम्बे कर्नाटक में 10 और तटीय कर्नाटक में चार सीटें गंवानी पड़ीं।