अब कुमाऊं मंडल के सभी होटलों का पंजीकरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) में कराना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए बोर्ड जिलों के पर्यटन अधिकारियों से होटलों की सूची मांगी है। इसके के बाद होटल संचालकों को पंजीकरण के लिए कहा जाएगा। पंजीकरण के बाद होटल संचालकों द्वारा सीवर का पानी नदी में बहाने और जंगल क्षेत्र में गंदगी करने पर सीधे नोटिस की प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बीते दिनों कैंची धाम की शिप्रा नदी में सीवर का पानी बहाने को गंभीरता से लेते हुए डेढ़ दर्जन होटल कारोबारी और रेस्तरां मालिकों को नोटिस जारी किए थे। अब पीसीबी ने कुमाऊं मंडल के सभी पर्यटन अधिकारियों को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि वह अपने-अपने क्षेत्र के होटल की सूची उपलब्ध करा दें।
इसके लिए पीसीबी ने नैनीताल, बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा और मुक्तेश्वर के होटलों की संख्या वहां से पर्यटन अधिकारी से मांगा है। माना जा रहा है कि इन क्षेत्रों में एक हजार से ज्यादा ऐसे होटल संचालित हैं जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास पंजीकृत नहीं हैं। जबकि इन होटलों के रॉ-मैटेरियल कहीं न कहीं नदियों में बहाए जा रहे हैं या जंगल में फेंके जा रहे हैं।
ऐसे लिया गया निर्णय
बीते दिनों नैनीताल के एक घटनाक्रम में कोर्ट ने पीसीबी से नैनीताल में पंजीकृत होटलों की सूची को पेश करने को कहा था। जब पीसीबी ने अपना रिकॉर्ड देखा तो गिनती के होटल ही विभाग में पंजीकृत मिले थे। इसके बाद विभाग की किरकिरी हुई थी। फिर जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्ती की तो नैनीताल में ही होटलों के पंजीकरण की संख्या आधा दर्जन से बढ़कर 250 के पार हो गई। यानी इन होटलों पर पीसीबी का नियंत्रण हो गया जो कहीं न कहीं प्रदूषण मुक्त उत्तराखंड की राह को आसान कर देगा।
नैनीताल, बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा और मुक्तेश्वर के होटलों की सूची संबंधित पर्यटन अधिकारी से मांगी गई है। सूची के मिलने के बाद इन होटलों के पंजीकरण के लिए आदेश जारी किया जाएगा। -अनुराग नेगी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड