पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद स्थित बेलडांगा में निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर शनिवार को अपने घोषित कार्यक्रम के मुताबिक ‘बाबरी मस्जिद’ का शिलान्यास करने जा रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने खुद इसकी पुष्टि करते हुए कहा, सब कुछ तय कार्यक्रम के हिसाब से होगा। शनिवार को बाबरी मस्जिद का शिलान्यास होगा। मरादिघी इलाके में अंतिम तैयारियां तेज रहीं। शुक्रवार को ही हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक, कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 40 हजार लोगों के पहुंचने की संभावना है। सऊदी अरब और देश के कई हिस्सों से इस्लामी धर्मगुरु कार्यक्रम में पहुंचेंगे। हुमायूं ने दावा किया है कि मरादिघी मोड़ के पास करीब तीन लाख लोगों की भीड़ जुट सकती है। भीड़ नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 3,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
हुमायूं कबीर ने कहा, सब ठीक है। दोपहर 12 बजे तक इंतजार कीजिए। उसके बाद कुरान पढ़ना शुरू होगा। उसके बाद आधारशिला रखी जाएगी। मुझे प्रशासन से पूरा सहयोग मिल रहा है। मुर्शिदाबाद पुलिस और राज्य पुलिस, सभी मेरा सहयोग कर रहे हैं। मैं उनका धन्यवाद करता हूं।
राज्यपाल ने दिए नागरिकों को सतर्क रहने के निर्देश
बाबरी मस्जिद की प्रतिकृति का शिलान्यास कार्यक्रम घोषित किए जाने के बाद बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने पूरे राज्य के लोगों से शांति, सतर्कता और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसी तरह की उकसाने वाली टिप्पणी या अफवाह से भ्रमित न हों। राज्यपाल खुद हालात पर नजर बनाए रखेंगे।
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा, अगर कोई मस्जिद वैध जगह पर है और उसका नक्शा स्वीकृत है, तो उस धर्म के लोग उसे बना सकते हैं। लेकिन केवल बाबर के नाम पर मस्जिद बनाना एक राजनीतिक उद्देश्य है। इससे धार्मिक विश्वास की वास्तविक भावना कमजोर होती है। अगर वह (हुमायूं कबीर) मस्जिद बनाना चाहते हैं, तो नाम पर ध्यान दें। उन्होंने आगे कहा, हुमायूं कबीर निलंबित विधायक हैं और उन्होंने राजनीति से प्रेरित होकर यह बयान दिया होगा। अगर वह किसी और नाम से मस्जिद बनवा रहे होते, तो उन्हें धार्मिक सीमाओं से उठकर योगदान मिलता। लेकिन अगर धार्मिक विश्वास की जगह राजनीति की जाए, तो इससे किसी को कोई खास फायदा नहीं होगा।
अखिल भारतीय शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, ऐसा बयान देश को तोड़ने की साजिश है और इसके पीछे कोई न कोई राजनीतिक मंशा जरूर है। मंदिर और मस्जिद के नाम पर कई झगड़े और हिंसा हुई है। मस्जिद का नाम अल्लाह या उसके रसूलों के नाम प होना चाहिए, न कि देश को लूटने वालों के नाम पर, क्योंकि लोग धार्मिक स्थलों पर शांति के लिए जाते हैं और इसमें राजनीति को शामिल करना गलत है। उन्हें सस्ती लोकप्रियता मिल रही है, क्योंकि मस्जिद के लिए बाबर नाम चुना है, जो किसी भी मुसलमान को स्वीकार्य नहीं है।









