इस बार हिमाचल प्रदेश के चुनावी मैदान में भारतीय जनता पार्टी डबल इंजन की सरकार के कराए गए कार्यों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में है। कांग्रेस तो हिमाचल प्रदेश के चुनावों में कहीं पर टिक ही नहीं रही है। उनके नेताओं को ही कांग्रेस पर भरोसा नहीं है इसीलिए वह पार्टी छोड़कर भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं। रही बात मुख्यमंत्री कौन बनेगा तो जयराम ठाकुर हिमाचल के मुख्यमंत्री हैं। उनके ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है, बाकी मुख्यमंत्री का चयन विधायक करते हैं। यह कहना है हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी अविनाश राय खन्ना का।
सवाल: चुनाव की तारीख घोषित कर दी गई हैं। कितनी तैयारियों के साथ अब चुनावी मैदान में हैं आप?
जवाब: चुनाव बूथ से जीता जाता है और हम लोग हिमाचल प्रदेश के हर बूथ तक गए हैं। सिर्फ बूथ तक ही नहीं बल्कि हम हर बूथ के एक एक पन्ने तक पहुंचे हैं। उसके बाद पन्ना कमेटियां हमने बनाई है। एक एक बूथ पर तकरीबन डेढ़ सौ कार्यकर्ताओं की टीम काम कर रही है। बहुत मजबूती के साथ हिमाचल प्रदेश के हर दुर्गम इलाके तक में पहुंचे हैं।
सवाल: यह तो आपने बूथ मैनेजमेंट की बात कही। कांग्रेस के लोगों को तोड़ कर के भी भारतीय जनता पार्टी हिमाचल में मजबूत की जा रही है क्या?
जवाब: पहली बात तो आप यह समझिए कि भारतीय जनता पार्टी किसी भी पार्टी के नेता को तोड़ती नहीं है। लोगों की आस्था भारतीय जनता पार्टी में बढ़ी है। वो चाहे किसी भी पार्टी के लोग रहे हो। रही बात बूथ मैनेजमेंट के अलावा हमारी तैयारियों की तो सरकार के स्तर पर हिमाचल प्रदेश के उन सभी इलाकों में वह काम किए गए हैं जो पुरानी सरकारों ने कभी किए ही नहीं। हिमाचल में चिकित्सा, शिक्षा, रोड इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर प्रोजेक्ट्स को ही आप देख लीजिए। मोदी और जयराम की सरकार ने डबल इंजन की ताकत से वह सब कुछ कराया जिसके लिए हिमाचल प्रदेश तरसता रहता था।
सवाल: कांग्रेस तो कह रही है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव से पहले उनके नेताओं को तोड़ रही है। इसका भारतीय जनता पार्टी को कोई लाभ नहीं मिलने वाला?
जवाब: तो ठीक है, यह कांग्रेस अपना सोचती रहे। अरे जिस पार्टी को इस बात की फिक्र नहीं है कि उनके दो वर्किंग प्रेसिडेंट उनकी पार्टी छोड़कर भाजपा में आ गए। सैकड़ों हजारों कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी में आस्था जताकर हमारे साथ जुड़ गए। कांग्रेस को अपने नेता और कार्यकर्ताओं की फिक्र नहीं रही तो वह प्रदेश की जनता की फिक्र क्या करेंगे।
सवाल: आपको लगता है कि सरकार के कार्य और संगठन की रणनीति इस बार “रिवाज बदलेगा” को सच साबित कर देगी?
जवाब: जी बिल्कुल कर देगी। हिमाचल के लोगों ने मन बना लिया है कि इस बार फिर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार लेकर आएंगे। हर पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज इस बार टूटने जा रहा है। यह मैं कोई हवा हवाई दावा नहीं कर रहा हूं। हिमाचल के दुर्गम इलाकों में जा कर देखिए। आप हर घर नल से जल, आयुष्मान योजना, और घरों में गैस सिलेंडर पाएंगे। मैं उन इलाकों की बात कर रहा हूं जहां पर साल में कई महीने बर्फ जमा रहती है। दुर्गम इलाकों में हमारी सरकार ने काम किया है। निश्चित तौर पर जनता का भरोसा जीता है भाजपा सरकार ने।
सवाल: कांग्रेस का भी दावा है कि वह हिमाचल प्रदेश के गांव गांव में बहुत मजबूती के साथ मैदान में है। मजबूत लड़ाई मानी जा रही है?
जवाब: नहीं…नहीं…कांग्रेस तो चुनावी मैदान में कहीं पर दिख ही नहीं रही है। फिर मजबूत लड़ाई कहां है। कांग्रेस तो आपस में ही लड़ रही है।
सवाल: हिमाचल प्रदेश को बड़ी जिम्मेदारियां मिली हुई हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक हिमाचल प्रदेश से ही हैं। कितना चुनौती मानते हैं आने वाले चुनावों में इसको?
जवाब: यह चुनौती कहां है। यह तो पार्टी का भरोसा है हिमाचल प्रदेश के लोगों के प्रति। तभी तो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष देव भूमि हिमाचल प्रदेश का है। युवा नेता अनुराग ठाकुर केंद्र में मंत्री हैं। वो हमारे स्तर कैंपेनर हैं। हिमाचल के लोगों का भरोसा है इन पर। और यही सब भारतीय जनता पार्टी की ताकत हैं। जिनके प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने जा रहे हैं हम।
सवाल: एक बिल्कुल सीधा और सपाट सवाल। भाजपा की सरकार रिपीट होती है तो क्या मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ही बनेंगे?
जवाब: मैं पहले भी कह चुका हूं। जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री हैं हिमाचल प्रदेश के। उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जा रहा है। इसका मतलब यही कि वही हमारे चेहरे हैं। मुख्यमंत्री कौन होगा यह तो पार्टी के एमएलए तय करते हैं।
सवाल: अभी टिकट नहीं फाइनल हुए हैं। कब तक प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे?
जबाव: बहुत जल्द ही प्रत्याशी घोषित कर दिया जाएंगे।
सवाल: क्या पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी चुनावी मैदान में उतरेंगे?
जवाब: यह केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा।