बच्चे देश का भविष्य होते हैं, इसी के चलते अभिभावक बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं। लेकिन सरकार नई शिक्षा नीति के तहत सख्त निर्देशों के बावजूद नौनिहालों के हाथों में किताबें नहीं, बल्कि झाड़ू दिख रही है। कुछ इसी तरह का मामला शुक्रवार को प्राथमिक विद्यालय गंगापुर कबड़वाल में देखने को मिला। स्कूल में पढ़ाई से पहले छोटे बच्चों को सफाई करनी पड़ी। इसके बाद ही उनकी पढ़ाई शुरू हो पाई। झाड़ू लगाते समय इनकी यूनिफार्म भी गंदी हो रही है। वहीं धूल से बीमारियों का भी भय बना रहता है।
स्कूली बच्चों से विद्यालय और परिसर में झाड़ू व साफ-सफाई करना गलत है। यह जांच का विषय है। जांच में दोषी पाए जाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। – तारा सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, हल्द्वानी
आधुनिक शिक्षा के दावे, पर हकीकत कुछ और
प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सरकारी स्कूलों में आधुनिक शिक्षा दिए जाने के भले लाख दावे किए जाते हो, लेकिन हकीकत बिल्कुल अलग है। ग्रामीण क्षेत्र के कई स्कूलों में इसका पालन नहीं किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है। अभिभावक रोज सुबह बच्चों को तैयार कर पढ़ाई के लिए स्कूलों में भेजते हैं, लेकिन वहां उन्हें सबसे पहले सफाई करनी पड़ती है। इसमें सबसे खास बात यह है कि यह सब शिक्षकों की मौजूदगी में होता है।