किस्मत ने कुणाल और सोनिका गिरि के साथ गजब खेल खेला। एक तरफ हल्द्वानी और दूसरी ओर हजारों मील असम की दूरी। ऊपर से दोनों के साथ न सुनने और ना बोल सकने की मजबूरी। मगर अब किस्मत अनोखा खेल शुरू कर रही थी और बॉक्सिंग खिलाड़ी कुणाल रिंग में उतरने असम के दार्जिलिंग पहुंच गए। यहां उनकी इत्तफाकन मुलाकात सोनिका गिरि से हुई। दोनों न कुछ सकते थे, ना ही कुछ बोल सकते थे…मगर इस मुलाकात के बाद शायद इन्हें अब बोलने-सुनने की कोई जरूरत भी नहीं थी। किस्मत ने उन्हें यहां मिलाया तो खेल के बहाने था, मगर इस खेल ने दोनों के जिंदगी की तस्वीर बदल दी और शुक्रवार को दोनों सांस्कृतिक उत्थान मंच में विवाह के पवित्र बंध में बंध गए।
गौलापार निवासी बॉक्सिंग खिलाड़ी कुणाल और असम में दार्जिलिंग की निवासी सोनिका गिरी की मुलाकात असम में एक प्रतियोगिता के दौरान हुई थी। कुणाल एक उत्कृष्ट बॉक्सर हैं जो बिहार, झारखंड, रांची व चेन्नई में आयोजित विभिन्न बॉक्सिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। उन्होंने चेन्नई में आयोजित नेशनल बॉक्सिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया है। पिता तिल राम ने बताया कि कुणाल और सोनिका दोनों बचपन से ही बोलने और सुनने में असमर्थ हैं। बताया कि वर्तमान में कुणाल हरियाणा स्थित मूक-बधिर विद्यालय में अध्ययनरत हैं और हरियाणा टीम की ओर से बॉक्सिंग खेलते हैं। वर्ष 2020 में उनका चयन ऑलराउंडर के रूप में दुबई क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए हुआ था, लेकिन कोरोना काल के कारण यह प्रतियोगिता स्थगित हो गई थी। आज दोनों विवाह के बंधन में बंध गए तो उन्हें बेहद खुशी हुई।
माता-पिता का साया नहीं मगर सिर पर समाज का स्नेह
शिमला निवासी शांति देवी और गौलापार निवासी मनोज की मुलाकात सोशल मीडिया के माध्यम से हुई। शांति ने बताया कि उनके माता-पिता का बचपन में बीमारी के चलते निधन हो गया था। बुआ के घर में पालन-पोषण हुआ। वहीं परिवार के इकलौते बेटे मनोज का दुनिया में कोई नहीं है। ऐसे में मौसी ने उनका पालन पोषण किया। बताया कि उनकी छोटी सी उम्र में ही माता का निधन हो गया था। कोरोना काल में पिता की भी मृत्यु हो गई थी। मनोज का कहना था कि दोनों की मुलाकात एक साल पहले फेसबुक में हुई थी। दोनों की बढ़ती दोस्ती ने शादी के बंधन में बंधकर जीवन भर एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा किया।









