गोवा नाइट क्लब में लगी भीषण आग में 25 लोगों की मौत के बाद अब अब इस हादसे की वजहों की जांच शुरू हो गई है। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है। शुरुआती जांच में नाइट क्लब में कई खामियों की बात सामने आ रही है, जिनमें कहा जा रहा है कि नाइट क्लब में आग से बचाव के नियमों का उल्लंघन किया गया और लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया गया। साथ ही ये भी दावा किया जा रहा है कि नाइट क्लब में अवैध निर्माण की पहले भी शिकायत हो चुकी थी। ऐसे में सवाल है कि शिकायत के बावजूद नाइट क्लब का संचालन कैसे हो रहा था?
अग्निकांड में अनसुलझे हैं कई सवाल
गोवा पुलिस के प्रमुख आलोक कुमार ने बताया कि सिलेंडर में धमाके की वजह से आग लगी, लेकिन कई प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि नाइट क्लब की पहली मंजिल पर आग लगी, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक डांस कर रहे थे। हैदराबाद की पर्यटक फातिमा शेख ने बताया, ‘अचानक से आग भड़की, जब तक हम लोग बाहर निकले तब तक नाइट क्लब आग की लपटों में घिर चुका था।’
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग लगने के बाद नाइट क्लब में मौजूद लोग घबराकर बाहर भागे और कुछ लोग जैसे ही कुछ लोग सीढ़ियां उतरकर नीचे गए, किचन ग्राउंड फ्लोर पर था और वे किचन में लगी आग के बाद उठे धुएं की चपेट में आकर वहीं फंस गए। ग्राउंड फ्लोर पर वेंटिलेशन भी नहीं था। यही वजह है कि सीढियों से कई शव बरामद किए गए।
नाइट क्लब के एंट्री और एग्जिट गेट बेहद संकरे थे, जिससे लोग भाग नहीं सके और भीड़ में फंसकर हादसे का शिकार हो गए। नाइट क्लब पानी में स्थित था और एक पतले रास्ते से जमीन से जुड़ा था। जिसके चलते आग पर काबू पाने में मुश्किल हुई और नुकसान ज्यादा हुआ। हादसे में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 25 हो गया है। जिनमें 14 नाइट क्लब के स्टाफ, चार पर्यटक शामिल हैं। सात अन्य की पहचान की जा रही है।
वीकेंड की वजह से नाइट क्लब में भारी भीड़ थी और डांस फ्लोर पर ही 100 के करीब लोग डांस कर रहे थे। नाइट क्लब एक अस्थायी निर्माण पर चल रहा था और इसके निर्माण में बड़े पैमाने पर ताड़ की पत्तियों का इस्तेमाल हुआ था, जिसके चलते आग तेजी से भड़की।
अवैध निर्माण की हुई थी शिकायत
अरपोरा नागोवा के सरपंच रोशन रेडकर का कहना है ‘नाइट क्लब का निर्माण अवैध था और इसके खिलाफ शिकायत भी हुई थी, जब हमने इसकी जांच कराई तो पता चला कि नाइट क्लब निर्माण के लिए कोई लाइसेंस नहीं मिला था। इसके बाद हमने नाइट क्लब को गिराने का आदेश दिया, लेकिन इस आदेश को स्टे कर दिया गया।’ सरपंच ने बताया कि पंचायत निदेशालय ने पंचायत के आदेश पर रोक लगाई थी। साथ ही उन्होंने बताया कि क्लब के मालिकों और जमीन के मालिकों में भी मतभेद थे, जिसके चलते भी इस क्लब की शिकायत हुई थी।
गोवा पंचायती राज कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति स्थानीय प्रशासन निकाय के किसी फैसले से परेशान है, तो उसे पंचायत निदेशालय में अपील करने का अधिकार है, और एक डिप्टी डायरेक्टर, जो एक न्यायिक अधिकारी के तौर पर काम करता है, जो पंचायत के फैसले को या तो सही ठहरा सकता है या उसे पलट सकता है।








