खबर चमोली जिले के नारायणबगड़ प्रखंड की है। यहां सबसे अधिक छात्र संख्या वाले आदर्श प्राथमिक विद्यालय झिंझौणी में कई वर्षों से शिक्षकों का अकाल चल रहा है जबकि पूरे प्रखंड में इस विद्यालय में सर्वाधिक छात्र संख्या है। पूर्व में इस विद्यालय में 125-30 छात्र छात्राओं की संख्या थी लेकिन शिक्षकों की कमी के चलते अभिभावकों ने अपने नौनिहालों को अन्य स्कूलों में भी दाखिला दिया और कुछ नये छात्रों का यहां दाखिला नहीं कराया गया। इस तरह से यहां के नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय साबित हो रहा है।
वर्तमान में 92 छात्र छात्राएं इस नाम मात्र के आदर्श प्राथमिक विद्यालय झिंझौणी में अध्यनरत हैं और उनकी शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारी मात्र दो शिक्षकों पर निर्भर हो कर रह गई है।अभी हाल ही में झिंझौणी गांव के ग्रामीण ने खंड शिक्षा अधिकारी से शिक्षकों के लिए गुहार लगाई थी तो अन्य कम छात्र संख्या वाले नजदीकी विद्यालय से एक शिक्षक को यहां व्यवस्था पर तैनात कर दिया गया।
सरकार ने इस विद्यालय को आदर्श तो बना दिया लेकिन वह नाम मात्र का ही साबित हो रहा है।अभी हमारे संवाददाता ने ग्राउंड जीरो पर जाकर झिंझोणी गांव के ग्रामीणों से बातचीत की तो अविभावक संघ के अध्यक्ष विजय सिंह नेगी ने बताया कि अभी हाल ही में दो नये शिक्षकों को यहां भेजा गया था परन्तु उन्होंने ज्वाइन नहीं किया और बताया कि एक और शिक्षिका के आने की सूचना भी है परंतु वह भी ज्वाइन नहीं कर रही है। बताया कि थकहार कर उन्होंने गांव की युवती को विद्यालय में पठन पाठन के लिए रखा है जिसका मानदेय का वहन अविभावक खुद करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे कर्मचारी और शिक्षकों को दण्डित करना चाहिए जो उच्चाधिकारियों के आदेशों की अव्हेलना करते हैं और अपने दायित्वों का नैतिकता से निर्वहन नहीं करते हैं। कहा कि मानकों के अनुसार हमारे विद्यालय में चार शिक्षक तैनात होने चाहिए थे परन्तु लापरवाही की मार उनके नौनिहालों को झेलनी पड़ रही है जो बहुत ही खेदजनक है।