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राज्यसभा अध्यक्ष: राज्यसभा में उठा सांसद निधि को बढ़ाकर 20 करोड़ करने का मुद्दा, सभापति बोले- इस पर चर्चा की जरूरत

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राज्यसभा में बुधवार को सांसद निधि बढ़ाने का मुद्दा उठा। सपा से राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने सांसद निधि को पांच करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ करने की मांग की। इस मुद्दे पर राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदन में मुफ्त सुविधाओं, सब्सिडी जैसे मुद्दों पर व्यवस्थित चर्चा और सरकारी निवेशों के व्यापक हित के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की जरूरत है।

समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव की मांग का जवाब देते हुए धनखड़ ने कहा कि अगर सरकार और विपक्ष सहमत होते हैं तो वह इस मुद्दे पर एक व्यवस्थित चर्चा कराने के लिए तैयार हैं। शांतिदायक तंत्र और मनुहार के लिए दिए जाने वाले मुफ्त उपहारों को लेकर सदन को विचार-विमर्श करने की जरूरत है। मैं सदन के नेता और विपक्ष के नेता से परामर्श करने के बाद चर्चा के लिए तैयार हूं।

सभापति ने कहा कि देश तभी विकसित हो सकता है जब पूंजीगत व्यय के लिए धन उपलब्ध हो। चुनावी प्रक्रिया के दौरान दिए जाने वाले प्रलोभनों से सत्ता में आने के बाद सरकारें खुद को बहुत असहज महसूस करती हैं। ये असहजता इस हद तक होती है कि सरकारें एक बार फिर अपने द्वारा दिए गए प्रलोभनों पर विचार करने के बारे में सोचती हैं। इसलिए जरूरी है कि एक राष्ट्रीय नीति बनाई जाए। ताकि किसी भी रूप में सरकार के सभी निवेशों का उपयोग व्यापक हित के लिए किया जा सके।

उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। कई राज्यों को चुनावी मुफ्त उपहारों फंडिंग में परेशानियों का सामना करना पड़ा। पंजाब जैसे राज्यों को चुनावी वादों को पूरा करने में वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ा है।

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सभापति ने उठाया सब्सिडी का मुद्दा
सब्सिडी के मुद़्दे पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कृषि क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में यदि सब्सिडी की आवश्यकता है, तो यह प्रत्यक्ष होनी चाहिए। विकसित देशों में यही चलन है। अमेरिका में हमारे देश के मुकाबले 1/5वां हिस्सा कृषि परिवार है, लेकिन अमेरिकी कृषि परिवार की औसत आय अमेरिकी परिवार की सामान्य आय से अधिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी प्रत्यक्ष, पारदर्शी और बिना किसी बिचौलिये के है।उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भी चर्चा की जा सकती है बशर्ते दोनों पक्ष सहमत हों।

वेतन और भत्ते के लिए समान नियम नहीं
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संविधान में सांसदों और विधायकों के वेतन और भत्तों के लिए समान नियम नहीं हैं। कुछ विधानसभाएं अपने सदस्यों को सांसदों से कहीं ज्यादा भत्ते और वेतन देती हैं। यहां तक कि विधानसभा के भूतपूर्व सदस्य के लिए पेंशन में भी 1 से 10 गुना तक अंतर होता है। अगर एक राज्य में किसी को एक रुपया मिल रहा है, तो दूसरे राज्य में पेंशन 10 गुना होगी।

सपा सांसद ने उठाया था यह मुद्दा
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि एक तिहाई लोकसभा सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना यानी सांसद निधि के कारण चुनाव हार जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसे पांच करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ किया जाए। या धनराशि बढ़ाई जाए या इसे समाप्त कर दिया जाए। उन्होंने कहा संसद निधि सांसदों के लिए संकट निधि बन गई है। यादव ने कहा उत्तर प्रदेश के विधायकों को पांच करोड़ रुपये, दिल्ली के विधायकों को 10 करोड़ रुपये, केरल में सात करोड़ रुपये की निधि मिलती है। ऐसे में सांसदों को केवल पांच करोड़ रुपये ही मिल रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि सांसदों को 5 करोड़ मिलते हैं और 18 प्रतिशत जीएसटी कट जाती है। इसके बाद केवल 4 करोड़ 10 लाख रुपये ही बचते हैं। ऐसे में यूपी का एक सांसद एक साल में एक विधानसभा में एक किलोमीटर सड़क नहीं बना सकता है। धनराशि को बढ़ाया जाए सांसद निधि से किए जाने वाले कामों की निगरानी की जाए जो कि पहले होती थी लेकिन अब यह काफी कमजोर है।