Cancer Treatment- अब मात्र 9 दिन में रक्त कैंसर खत्म..भारत के डॉक्टरों ने हासिल की बड़ी कामयाबी

Spread the love

 

 

भारत के डॉक्टरों ने महज नौ दिन के भीतर रक्त कैंसर को खत्म कर दिया। साथ ही पहली बार कार-टी सेल्स को अस्पताल में ही बनाकर मरीजों को दिया गया। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कैंसर चिकित्सा में बड़ी कामयाबी बताते हुए घोषणा की है कि 80 फीसदी मरीजों में 15 माह बाद भी कैंसर सक्रिय नहीं पाया गया।

 

आईसीएमआर के मुताबिक, यह ट्रायल दिखाता है कि कैंसर का इलाज सस्ता, तेज, और मरीजों के करीब कैसे किया जा सकता है। भारत अब स्वदेशी बायो थेरेपी को विकसित करने में अग्रणी बन रहा है, जो वैश्विक स्तर पर भी अहम है। यह सफलता आईसीएमआर और सीएमसी वेल्लोर के एक क्लिनिकल ट्रायल में हासिल हुई है, जिसे वेलकारटी नाम दिया है। इस परीक्षण के परिणाम मोलिक्यूलर थेरेपी ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।

 

 

जर्नल में प्रकाशित विवरणों के मुताबिक डॉक्टरों ने कार-टी थेरेपी के जरिये एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) और लार्ज बी-सेल लिम्फोमा (एलबीसीएल) के मरीजों पर परीक्षण किया। यह दोनों ही रक्त कैंसर के प्रकार हैं। इस प्रक्रिया में मरीज के अपने टी-सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाओं) को कैंसर से लड़ने के लिए तैयार किया। हालांकि भारत में कार-टी थेरेपी का यह पहला अध्ययन नहीं है। इम्यूनो एक्ट और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई ने मिलकर पहली स्वदेशी थेरेपी विकसित की जिसे 2023 में केंद्र से अनुमति भी मिली है।

 

पहले ट्रायल में ऐसे मिले परिणाम
आईसीएमआर ने ट्रायल परिणाम जारी करते हुए बताया कि एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) कैंसर से प्रभावित सभी मरीज ठीक हो गए, जबकि लार्ज बी-सेल लिम्फोमा (एलबीसीएल) रोगियों में से 50% रोग मुक्त हुए। दोनों तरह के मरीजों पर लंबे समय तक निगरानी रखी गई जिसमें 80% मरीज 15 महीने बाद भी रोग-मुक्त रहे। हालांकि, इस बीच रोगियों में थेरेपी के हल्के दुष्प्रभाव देखने को मिले हैं, पर न्यूरो टॉक्सिसिटी यानि तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव नहीं पाया गया।

और पढ़े  PM Modi: PM मोदी 5 देशों की यात्रा पर, घाना के लिए रवाना, ब्रिक्स सम्मेलन में करेंगे शिरकत

 

वैश्विक स्तर पर 40 दिन का रिकॉर्ड
सीएमसी वेल्लोर के डॉक्टरों ने बताया कि यह प्रक्रिया अस्पताल में ही स्वचालित मशीनों के जरिये की गई जिसमें करीब नौ दिन का समय लगा। जबकि वैश्विक स्तर पर कार-टी थेरेपी में कम से कम पांच सप्ताह यानी 40 दिन का समय लगता है। भारतीय परीक्षण में मरीज की ताजा कोशिकाओं का उपयोग किया गया, जिससे उनकी तेजी से रिकवरी हुई। उन्होंने कहा कि  भारत ने 90 फीसदी से भी अधिक सस्ती प्रक्रिया को जन्म दिया है।

 

इलाज का 90 फीसदी खर्च बचेगा
भारत में जहां कैंसर का इलाज महंगा है और ज्यादातर लोगों के पास बीमा नहीं है। यह थेरेपी लागत को 90% तक कम करती है। वैश्विक स्तर पर कार-टी थेरेपी की लागत 3,80,000-5,26,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 3-4 करोड़ रुपये) है, लेकिन वेलकारटी मॉडल ने अब इसे बहुत कम कीमत पर उपलब्ध कराने का रास्ता खोल दिया है।  ईसीएमआर का कहना है कि भारत में हर साल 50 हजार नए ल्यूकेमिया मरीज सामने आ रहे हैं।


Spread the love
  • Related Posts

    रेबीज का खतरा: रेबीज होने के बाद कैसे रहें सुरक्षित?

    Spread the love

    Spread the love     भारत में रेबीज की रोकथाम को लेकर तमाम प्रयास किए गए हैं, बावजूद इसके अभी भी यहां प्रतिवर्ष अनुमानित 5,700 लोगों की मौतें हो जाती…


    Spread the love

    आस्था पूनिया: आस्था बनी भारतीय नौसेना में पहली महिला फाइटर पायलट, रक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम

    Spread the love

    Spread the love भारतीय नौसेना ने इतिहास रच दिया है। सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया को आधिकारिक रूप से नौसेना के फाइटर स्ट्रीम में शामिल कर लिया गया है। वे इस…


    Spread the love

    error: Content is protected !!