बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। बीबीसी की बांग्ला सेवा ने गुरुवार आधी रात को छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख एनहिद इस्लाम के हवाले से यह खबर दी। इसमें कहा गया कि यूनुस को लगता है कि राजनीतिक दलों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण काम करना मुश्किल हो रहा है।
नाहिद इस्लाम ने मीडिया समूह से कहा, ‘हम आज सुबह से सर (यूनुस) के इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं उस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया था। सर ने भी यही कहा कि वे इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते।’ गौरतलब है कि नाहिद इस्लाम अंतरिम सरकार में शुरुआत में खुद यूनुस के सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। हालांकि, इसी साल उन्होंने यूनुस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने का एलान कर दिया था।
बांग्लादेश के अखबार प्रोथम आलो के मुताबिक, सेना प्रमुख वकर उज-जमां ने सैन्य अफसरों की बैठक में कहा, “ऐसा कोई कॉरिडोर (रोहिंग्याओं के लिए) नहीं होगा। बांग्लादेश की स्वायत्तता पर कोई समझौता नहीं हो सकता। सिर्फ एक ऐसी राजनीतिक सरकार ही यह फैसला कर सकती है, जिसे जनता ने चुना हो।”
वकर उज-जमां ने इस पर भी जोर दिया कि बांग्लादेश में इस साल दिसंबर तक संसदीय चुनाव हो जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक चुनी हुई सरकार ही बांग्लादेश के भविष्य पर फैसला ले सकती है, न कि गैर निर्वाचित सरकार। आर्मी चीफ ने यह भी साफ कर दिया कि 1 जनवरी 2026 को बांग्लादेश में एक नई सरकार का सत्ता में होना बेहद जरूरी है।
- बीते साल जब बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा, तब सेना ने ही उन्हें भारत भेजने का प्रबंध किया। इतना ही नहीं बांग्लादेश की सेना ने एक अंतरिम सरकार की व्यवस्था को भी लागू किया, जिससे बांग्लादेश नए सिरे से लोकतांत्रिक रास्ते पर लौट सके।
- हालांकि, बीते कुछ महीनों से अंतरिम सरकार के एक के बाद एक बेरोकटोक फैसलों से बांग्लादेश में स्थिति सुधरने की जगह और बिगड़ती देखी गई है। पहले बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और इसके बाद इस्राइल-फलस्तीन संघर्षों को लेकर एक के बाद व्यापारों को निशाना बनाए जाने के चलते सेना को लगातार भीड़ से जुड़ी हिंसा से निपटना पड़ रहा है।
- मो. यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने इस दौरान कई ऐसे फैसले किए हैं, जिनका असर बांग्लादेश और भारत के रिश्तों पर भी पड़ा है। इनमें पाकिस्तान से व्यापार और रक्षा सहयोग बढ़ाने से जुड़े फैसले शामिल हैं। इसके अलावा भारत से जुड़े व्यापार पर यूनुस के धड़ाधड़ फैसलों से बांग्लादेश में असहजता की स्थिति बन रही है।
इन सभी मुद्दों को लेकर सेना प्रमुख कई बार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोष जता चुके हैं। हालांकि, अब उन्होंने इसे लेकर नाराजगी को सामने रख दिया है।