14 मार्च को मनाया जाएगा बुढ़वा मंगल,वार्षिक मेला का होगा आयोजन |
होली पर्व के ठीक बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को बुढ़वा मंगल के रूप में मनाने की परम्परा रही है। इस बार यह बुढ़वा मंगल 14 मार्च को मनाया जाएगा। बुढ़वा मंगल के पर्व पर अयोध्या के कोटपाल कहलाने वाले मत्त गजेन्द्र महाराज के स्थान पर वार्षिक मेला का आयोजन होगा। परम्परागत रूप से आयोजित होने वाले इस वार्षिक मेला की तैयारियां शुरु हो गयी है और मंदिर परिसर का रंगरोगन के साथ सफाई कराई जा रही है।
रामकोट के उत्तर में लंकापति विभीषण व उनकी पत्नी देवी सूरमा का भी है स्थानबताते चलें कि मत्त गजेन्द्र महाराज लंकापति विभीषण के पुत्र हैं जिन्होंने भगवान राम की सेवा में अपने पुत्र को अयोध्या में रहने का आदेश दिया था। भगवान राम ने उन्हें अयोध्या का कोटपाल नियुक्त किया था। ऐसी मान्यता है कि अयोध्या दर्शन का शुभ फल तभी प्राप्त होता है जब कोटपाल का भी यात्रा के अंत में दर्शन किया जाए। किंवदंती है कि लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे प्रभुराम के साथ पूरी वानर सेना के साथ लंकापति विभीषण भी सपरिवार आए थे। कुछ समय यहां रहने के उपरांत उनकी जब भगवान ने विदाई की तो उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि वह उनके पुत्र को अपनी सेवा में ले लें। उनके आग्रह पर भगवान ने उन्हें कोटपाल का दायित्व सौंपा था। फिलहाल मत्त गजेन्द्र महाराज के पश्चिम में महाराज विभीषण एवं उनकी पत्नी देवी सूरमा का स्थान नियत है।