हल्द्वानी: नैनीताल में जिला महिला मोर्चा की कुर्सी पर घमासान,अल्का जीना का बेहतरीन काम और प्रभावी कार्यशैली,इसलिए अल्का इज द बेस्ट
नैनीताल में जिला महिला मोर्चा की अध्यक्ष पद को लेकर अंदरूनी घमासान मचा हुआ है, जिसमें कई दावेदार हैं और खासकर पूर्व अध्यक्षों और स्थानीय नेताओं के बीच तनाव है।
दावेदार: मौजूदा अध्यक्ष सहित कई वरिष्ठ महिलाएं अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश कर रही हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
संक्षेप में, नैनीताल महिला मोर्चा की कुर्सी के लिए अंदरूनी खींचतान और गुटबाजी चरम पर है और नेतृत्व के लिए चुनौती बन गई है।
नैनीताल में महिला मोर्चा की कुर्सी पर घमासान—तीन नाम, तीन दबाव, और एक बड़ा सवाल!
1. अल्का जीना – बेहतरीन काम… और उसी वजह से बढ़ा खौफ!
अल्का जीना के कार्यकाल के बारे में आम राय काम साफ़, तेजी से… और नतीजे दमदार।
इसी तेज़ और प्रभावी कार्यशैली ने ही कई लोगों की नींद उड़ा दी है।
सूत्र का कहना हैं— कोई भी बन जाए… लेकिन अल्का जीना दोबारा कुर्सी पर न बैठें।
2-पूनम जोशी स्वभाव से सभ्य, सरल और बेहद मिलनसार मानी जाती हैं।
और महिला मोर्चा की जिला महामंत्री रहते हुए उन्होंने बेहतरीन और प्रभावी काम किया—इसमें किसी को ज़रा-सा भी संदेह नहीं।
इसी वजह से उन्हें
महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष के लिए मजबूर दावेदार भी माना जा रहा है।
पूर्व में बीजेपी से वार्ड 2- से पार्षद की प्रत्याशी भी रह चुकी है
लेकिन इनके पार्षद टिकट के पीछे जो कहानी है, वह अब भी जिले की सबसे चर्चा-योग्य फाइल मानी जाती है।
सूत्र खुलकर कहते हैं—
जितने टिकट कटे, सब पूर्व मेयर जोगिंदर रौतेला के चहेते थे।
उनसे आपसी दिक्कत और जलन के चलते ऐसा शातिर प्लान रचा गया कि
एक ही वार में सभी टिकट साफ़ कर दिए गए।
और जिले में तंज आज भी वही
इतने टिकट तो रेलवे कैंसिलेशन काउंटर पर भी एक साथ नहीं कटते!
अब वही पूनम जोशी पूरी ताकत के साथ महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष की कुर्सी की तरफ बढ़ रही हैं।
3-गीता जोशी
पूर्व मंडल अध्यक्ष, सक्रिय चेहरा,
और चर्चा यह कि सांसद अजय भट्ट का सीधा समर्थन।
जिले में एक ही लाइन घूम रही सांसद की हवा चल जाए… तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं।
कुर्सी कौन ले जाएगा ये तो भगवान जाने,लेकिन प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की लाइन बेहद सख्त जिसे टिकट मिल चुका हो या मौका मिल गया हो वह संगठन चुनावों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
अब नैनीताल का सबसे बड़ा सवाल यही है क्या महेंद्र भट्ट की बात का सम्मान होगा? या उनकी बात को दरकिनार कर दिया जाएगा? क्या नियम काम आएंगे… या नेटवर्क फिर भारी पड़ेगा?
पूरा जिला इसी पल का इंतज़ार कर रहा है।







