अंकिता हत्याकांड: अंकिता नहर में नहीं गिरी थी…उसे जबरदस्ती फेंका गया था, इस रिपोर्ट ने खोला हत्या का राज

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त्तराखंड के ऋषिकेश में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड को न्याय की अंतिम सीढ़ी तक पहुंचाने में एम्स के डॉक्टरों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की अहम भूमिका रही। अंकिता भंडारी किसी दुर्घटना के चलते नहर में नहीं गिरी थी बल्कि उसे नहर में फेंका गया था। इसे पोस्टमार्टम रिपोर्ट साबित करने में सफल हुई।

सडन एस्कलरेशन ऑफ बॉडी (एक झटके में पानी में गिराना) नाम की इस थ्योरी को बचाव पक्ष ने गिराने की पूरी कोशिश की लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों और क्राइम सीन के दोहराव में सामने आए तथ्यों से उनके तर्क कोर्ट में नहीं टिक पाए।

 

पुलिस को गुमराह करने की कोशिश
इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस को शुरुआत से ही तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। घटना का कोई आंखों देखा गवाह नहीं था। रिजॉर्ट के सीसीटीवी फुटेज खराब थे। शुरुआत में रिजॉर्ट के कुछ कर्मचारियों ने भी पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की।

 

अंकिता भंडारी के साथ 18 सितंबर 2022 की शाम क्या हुआ? वह कैसे पानी में गिरी? किसने गिराई? ये सब पुलिस और विशेषज्ञों की परख से ही साबित हो सकता था। 25 सितंबर 2022 को चीला नहर से मिले शव का जब पोस्टमार्टम हुआ तो रिपोर्ट में ऐसी कोई बात (दुष्कर्म) सामने नहीं आई जिसके बारे में कुछ लोग आशंका जता रहे थे।

 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने साफ की तस्वीर
ऐसे में यह भी माना जा रहा था कि बचाव पक्ष इसे दुर्घटना भी साबित कर सकता है। मगर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और क्राइम सीन विजिट रिपोर्ट के मजबूत  तथ्यों के आगे बचाव पक्ष ऐसा करने में असफल रहा।

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कोर्ट ने माना, यही आपराधिक मानव वध है
अभियोजन की ओर से भी इस मामले में 1991 के जाहर लाल बनाम ओडिशा राज्य के केस की दलील पेश की। इसमें कहा गया है कि अदालत को स्वयं को संतुष्ट करना होगा कि साक्ष्य की श्रृंखला में विभिन्न परिस्थितियों को स्पष्ट रूप से स्थापित किया जाना चाहिए।

पूरी श्रृंखला ऐसी होनी चाहिए जिससे अभियुक्त की निर्दोषता की उचित संभावना को खारिज किया जा सके। ऐसे में कोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, क्राइम सीन विजिट रिपोर्ट और मृतका के शरीर पर चोटों के आधार पर उसे एक झटके से पानी में गिराना ही पाया। कोर्ट में कहा गया कि यही साबित करती है कि अंकिता भंडारी की मौत आपराधिक मानव वध यानी हत्या है।

 

फिसलकर गिरने के निशान नहीं थे
क्राइम सीन रिक्रिएट करने गई फॉरेंसिक की टीम ने पाया था कि नहर की पटरी पर ऐसे कोई निशान नहीं थे जिससे यह लगे कि अंकिता भंडारी यहां से फिसलकर गिरी है। बताया गया कि अंकिता भंडारी यहां सडन एस्कलरेशन ऑफ बॉडी के कारण नहर में गिरी है।

 

यानी उसे एक झटके में पानी में गिराया गया है। शव मिलने के बाद जब पोस्टमार्टम हुआ तो डॉक्टरों ने भी यही पाया कि शरीर पर भी ऐसे कोई निशान नहीं थे जिससे यह साबित हो कि वह नहर की पटरी पर फिसलकर गिरी है।
अनैतिक कार्य का बना रहे थे दबाव 
अंकिता भंडारी हत्या मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) रीना नेगी की अदालत ने सजा के प्रश्न पर दोनों पक्षों को सुना। बीती 19 मई को एडीजे कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुए फैसले के लिए 30 मई की तिथि निर्धारित की थी। अभियोजन पक्ष ने कहा कि अंकिता रिसॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करती थी।

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अभियुक्तों की ओर से घटना से पूर्व उस पर अनैतिक कार्य (एक्स्ट्रा सर्विस) का दबाव बनाया जा रहा था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि अंकिता उनके इस एक्स्ट्रा सर्विस का विरोध कर रही थी और वह रिसॉर्ट से जाना चाहती थी।
यह बात पीड़िता कहीं बाहर न बता दे, इसलिए अभियुक्तों ने उसे अपने साथ बाहर ऋषिकेश तक घुमाने ले गए। लेकिन पीड़िता अभियुक्तों के साथ वापस वनंत्रा रिसॉर्ट नहीं आई। छह दिन बाद चीला नहर से उसका शव बरामद हुआ। अदालत ने कहा कि अभियुक्तों ने पीड़िता की हत्या जानबूझकर की। सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए तीनों को दोषी करार दिया।
अंकिता की मां बोलीं, फांसी होनी चाहिए, हाईकोर्ट जाएंगे 
जैसे ही न्यायालय ने अंकिता के हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, मां की पथराई आंखों से दर्द का दरिया बह निकला। अंकिता की मां सोनी देवी बोलीं, तीनों हत्यारों को फांसी की सजा होनी चाहिए थी, इसके लिए हम हाईकोर्ट जाएंगे।
दोपहर करीब पौने तीन बजे अंकिता के पिता बीरेंद्र सिंह और मां सोनी देवी न्यायालय से बाहर आए। यहां मीडिया से बात करते हुए सोनी देवी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हत्यारों को मिली सजा से संतुष्ट तो नहीं हूं, पर मेरी बेटी की आत्मा को थोड़ी शांति जरूरी मिली होगी।

 


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