स्थानांतरण के आदेश के बाद साहब को डार रहा है पहाड़ जाने का डर

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स्थानांतरण के आदेश के बाद साहब को डार रहा है पहाड़ जाने का डर

*वर्षों से जमे पूर्ति निरीक्षक के हुऐ चंपावत स्थानांतरण के आदेश के बाद साहब को डार रहा है पहाड़ जाने का डर”अपने चहेते नेताओं से सरकार पर दवाब बनाकर खेल रहे हैं स्थानांतरण स्थगन किए जाने का खेल*।

लालकुआं कई सालों से जिले में कार्यरत पूर्ति निरीक्षकों का शासन से स्थानांतरण हो गया। उनके स्थान पर नए पूर्ति निरीक्षकों की तैनाती की गई।बताते चलें कि बीते दिनों शासन ने निर्देशित किया था कि ऐसे सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की सूची शासन को उपलब्ध कराई जाए, जिनका संबंधित जनपद में पांच वर्ष से अधिक का कार्यकाल हो चुका है। इस संबंध में जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय से भी कई पूर्ति निरीक्षकों की सूची शासन को उपलब्ध्ण कराई गई थी।
इस बीच शासन स्तर पर जिले में पांच वर्ष से अधिक समय से तैनात पूर्ति निरीक्षकों का पहाड़ी जिलों में स्थानांतरण किया गया है और वर्षों से पर्वतीय जनपदों में सेवाएं दे रहे निरीक्षकों को मैदानी क्षेत्र में लाया जा रहा है किंतु सूत्रों की मानें तो कुछ निरीक्षक अपने उक्त स्थानांतरण से खुश नहीं हैं और स्थानांतरण रुकवाने को लेकर अपने चहेते राशन डीलरों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों जिनसे उनके मधुर संबंध है उन्हें आगे कर स्थानांतरण रुकवाने का आग्रह कर रहे हैं हैरानी की बात ये है कि कुछ सफेद पोश वर्षों से जमे अधिकारियों के रूटीन तबादला नीति को दरकिनार कर अपने चहेतों के स्थांतरण रद्द किए जाने को लेकर सोश्यल मीडिया में सक्रिय भी हो गए हैं जबकि आमजन वर्षों से जमे अधिकारियों के तबादले से खुश नजर आ रहे हैं।
वही लोगों का मानना है कि शासन ने वर्षों से जमे पूर्ति निरीक्षकों का नीतिगत तरीके से तबादला किया है इनमें से कुछ निरीक्षक तो ऐसे हैं दश बारह वर्षों से यहाँ जमे थे जिससे वे खुद को निरीक्षक नहीं बल्कि पूर्ति अधिकारी ही समझने लगे थे। लगातार शिकायतों व वर्षों से जमे होने के चलते ही इनका तबादला किया गया है।
इधर आमजनमानस ने सरकार फैसले को सही बताते हुए खुश होकर कहा कि बर्षो से डेरा जमाए अधिकारियों के स्थानांतरण किए जाने का फैसला सरकार का सराहनी है उनका साफ कहना है कि सालों से दुर्गम पर्वतीय जिलों में सेवाएं दे रहे अधिकारियों को भी मैदानी सुगम क्षेत्रों में सेवा का मौका मिलना चाहिए।

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