
सभी दशनामी शैव अखाड़ों की अपनी अलग कोतवाली है। इनमें बाकायदा कोतवाल तैनात रहते हैं। इनके जिम्मे छावनी की आंतरिक सुरक्षा होती है। अखाड़े के नागा समेत अन्य साधुओं को नियंत्रित करने का काम यही कोतवाल करते हैं। अखाड़ों के अपने कानून भी हैं।
नियम तोड़ने वाले को सजा दी जाती है। कई अजब-गजब सजाएं भी हैं। हालांकि, गंभीर अपराध पर अखाड़े से निष्कासन तक का विधान है। अखाड़ों में अपना आंतरिक विवाद कोर्ट कचहरी लेकर जाने का रिवाज नहीं है।
विवाद मिल बैठकर सुलझाए जाते हैं। धर्मध्वजा के नीचे ईष्ट देव की कुटिया स्थापित होने के साथ ही छावनी में भी कोतवाली बन जाती है। छावनी की सुरक्षा के लिए अलग-अलग कोतवालों की तैनाती होती है। निरंजनी अखाड़े के महंत महेंद्रानंद के मुताबिक नागा संन्यासी ही कोतवाल बन सकते हैं।