उत्तराखंड में एक नया कारनामा सामने आया है, जिसे हिंदी तक लिखनी नहीं आती वह भी यहां डाक सेवक बन गया। यह सिर्फ एक या दो व्यक्ति का मामला नहीं है, ऐसे गजब हाल वाले अभ्यर्थियों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है।
डाक सेवक पद के लिए चयनित एक अभ्यर्थी को तो हरियाणा बोर्ड ने 10वीं में हिंदी समेत सभी विषयों में ए++ग्रेड के नंबर दे दिए। इसी पर उसका चयन किया गया, जबकि उसे हिंदी के सामान्य शब्द भी लिखने नहीं आते। उधर, मामले में उत्तराखंड डाक विभाग के इंस्पेक्टर ने हरियाणा बोर्ड के अफसरों से मुलाकात कर मामला जानना चाहा तो बोर्ड के अफसरों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया, छात्र को अकादमिक पृष्ठभूमि के आधार पर नंबर दिए गए हैं।
गिरफ्तार हो चुके हैं फर्जीवाड़ा करने वाले गैंग के 13 सदस्य
हाल ही में यूपी पुलिस ने मेरठ से डाक विभाग की भर्ती परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। एसटीएफ ने गैंग के 13 सदस्यों को गिरफ्तार किया। अंदाजा लगाया जा रहा कि इस गैंग के तार उत्तराखंड में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों से भी जुड़े हो सकते हैं।
बोर्ड परीक्षा के नंबर से ही मेरिट में बनती है जगह
दरअसल, इस पद के लिए बनने वाली मेरिट लिस्ट बोर्ड परीक्षा के नंबरों के आधार पर बनती है। इसके चलते उत्तराखंड के युवाओं के नंबर कम होने के चलते उनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आ पाया।
किसी भी गलत अभ्यर्थी का चयन विभाग में नहीं किया जाएगा। शुरुआती जांच में चमोली से तीन और अल्मोड़ा से तीन अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है, जिन्होंने फर्जी तरीके से भर्ती में सफलता हासिल की। सभी अभ्यर्थियों के दस्तावेज की भी जांच कराई जाएगी।
– अनसूया प्रसाद चमोला, निदेशक, डाक सेवाएं, उत्तराखंड