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लालकुआं / मोटाहल्दू : नवरात्रि पर अष्टदशभुजा महालक्ष्मी मंदिर में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, मां के जयकारों से गूंजा।

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शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना और मां शैलपुत्री की आराधना हो रही है वही लालकुआं क्षेत्र के बेरीपड़ाव स्थित अष्टादस भुजा महालक्ष्मी मंदिर में सभी नौ रूप विद्यमान है प्रथम दिवस मां शैलपुत्री की आराधना के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. महामंडलेश्वर श्री सोमेश्वर यदि महाराज जी ने बताया कि शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है इस नवरात्रि में मां की आराधना करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है
बेरीपड़ाव में अष्टदशभुजा महालक्ष्मी मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां माता के सभी नौ रूप विराजमान हैं. हर नवरात्रि में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर मां दुर्गा की आराधना करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. नवरात्रि के पहले दिन महिलाओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर मां भगवती के गीत गाए, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
वही मान्यता है कि अष्टादश भुजा मां महालक्ष्मी मंदिर में पूजा-पाठ करने से भक्तों के घर पर सुख-समृद्धि के साथ शांति का वास होता है. वर्ष भर इस मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. कई विदेशी श्रद्धालु भी यहां पर मां के चरणों में मत्था टेकने के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में हल्द्वानी और उसके आसपास के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु भी माता लक्ष्मी का आशीर्वाद ले रहे हैं।
मान्यता है कि यह देवालय श्री हरि विष्णु की अर्धांगिनी देवी महालक्ष्मी को समर्पित है यहां पर माता लक्ष्मी की जो प्रतिमा स्थापित की गई है, उसकी 18 भुजाएं हैं. इसलिए इस मंदिर का नाम अष्टादश भुजा मंदिर रखा गया है. देश के मुख्य और दर्शनीय तीर्थ स्थलों में भी इस मंदिर का जिक्र किया जाता है. स्थानीय लोगों की इस मंदिर में बड़ी आस्था है.
इधर हल्द्वानी के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई दी. श्रद्धालु मां भगवती की आराधना कर अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करते नजर आए. साथ ही भक्तों ने जगह-जगह कलश यात्रा और मूर्ति स्थापना की. रानीबाग शीतला माता मंदिर, लालकुआं स्थित वंतिका कुंज मंदिर, काठगोदाम स्थित कालीचौड़ मंदिर और शितला देवी में भी श्रद्धालुओं का तांता नजर आया।

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 सोमेश्वर यति महाराज जी महामंडलेश्वर महालक्ष्मी मंदिर

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