
नैनीताल के दूरस्थ गांव महरोड़ा में मिट्टी और लकड़ी से निर्मित भूकंपरोधी घर बनाए गए हैं। यह घर दिखने में जितने आकर्षक हैं, उतने ही मजबूत और टिकाऊ भी हैं। वर्ष 1991 में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आए भीषण भूकंप में हुई भारी तबाही से सबक लेकर यह घर बनाए गए हैं।
महरोड़ा में बनाए गए इन भूकंपरोधी घरों को नेचुरल हाउस नाम दिया गया है। शगुन बताती हैं उन्होंने इसका नाम इसलिए नेचुरल हाउस रखा है, क्योंकि यह सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडे होते हैं। यही कारण है कि देश के साथ-साथ विदेशों में भी ऐसे घर बनाने का क्रेज बढ़ रहा है।
गीली मिट्टी एनजीओ के तहत काम कर रहीं बिहार निवासी शगुन सिंह महरोड़ा गांव में भूकंपरोधी घर बना रही हैं। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, मेक्सिको, जापान और पड़ोसी देश नेपाल सहित करीब 12 देशों के लोग शगुन की भूकंपरोधी घर बनाने की तकनीक सीखने नैनीताल आ चुके हैं।
शगुन ने अमर उजाला से खास बातचीत में बताया कि पहाड़ों पर आने वाली आपदा को देखते हुए अर्थ बैग, कॉब, एडोबी, टिंबर फ्रेम, लिविंग रूम तकनीक से विभिन्न प्रकार के घर बनाए गए हैं
उन्होने बताया कि पहाड़ों पर होने वाली असमय आपदा से हजारों लोग मकानों में दबकर अपनी जान गंवा देते हैं। यदि लोग भूकंपरोधी घर का उपयोग करेंगे तो भूकंप के दौरान कई लोगों की जानें बच सकती हैं।