भारत के प्रथम मतदाता श्याम सरण नेगी का देहांत हो गया। श्याम सरण नेगी भरा-पूरा परिवार छोड़कर शनिवार तड़के इस दुनिया को अलविदा कह गए। 105 वर्षीय नेगी का राजकीय सम्मान के अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस की टुकड़ी और होमगार्ड के जवानों ने हवा में गोलियां चलाकर उन्हें सलामी दी। डीसी किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने नेगी के घर पहुंचकर परिवार के लोगों को ढांढस बंधाया और अंतिम यात्रा में शामिल हुए। घर से श्मशानघाट तक करीब 16 किमी की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। स्वतंत्र भारत के पहले मतदाता श्याम सरण नेगी ने बुधवार को कल्पा में अपने घर से पहली बार बैलेट पेपर से 14वीं विधानसभा के लिए मतदान किया था। तबीयत खराब होने पर बैलेट पेपर से मतदान की इच्छा जताई थी। पहले बूथ पर जाकर मतदान करना चाहते थे। उन्होंने बुधवार को 34वीं बार मतदान किया था।
चुनाव आयोग के ब्रांड एंबेसडर श्याम सरण नेगी ने हर चुनाव में वोट डाला है। वे औरों को मतदान करने के लिए प्रेरित करते थे। चुनाव आयोग उन्हें किन्नौर के कल्पा बूथ में मतदान के लिए घर से लेकर जाता था। रेड कारपेट बिछाकर उनका भव्य स्वागत किया जाता था। श्याम सरण नेगी देश के पहले मतदाता कैसे बने? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। श्याम शरण नेगी के अनुसार देश में फरवरी 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के चलते पांच महीने पहले सितंबर 1951 में ही चुनाव हो गए। आजाद भारत के पहले चुनाव के समय मैं किन्नौर के मूरंग स्कूल में बतौर अध्यापक कार्यरत था।
चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी। वोट देने के लिए भारी उत्साह था और ड्यूटी शौंगठोंग से मूरंग तक थी, जबकि मेरा वोट कल्पा में था। इसलिए, सुबह जल्दी वोट देकर ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी और मतदान स्थल पर पहुंच गए। 6:15 बजे मतदान ड्यूटी पर पोलिंग पार्टी पहुंची। पोलिंग पार्टी से जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया। इस पर पोलिंग पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी। मतदान करते समय उनका नाम देश के पहले मतदाता के तौर पर दर्ज हुआ। वोट डालने के बाद अपनी ड्यूटी पर चले गए थे।