अयोध्या –
नगर निगम के गठन के बाद 2018-2023 पंचवर्षीय कर निर्धारण की प्रक्रिया जारी है। इसके लिए पूरे अयोध्या जोन में भवनों का सर्वे कराया गया और नया मकान नंबर आवंटित कर टैक्स का निर्धारण किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस प्रक्रिया में रामजन्म भूमि को शामिल नहीं किया गया जिससे ‘रामलला’ के नये भवन का भवन नंबर नहीं आवंटित हुआ है। वह भी तब जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केन्द्र सरकार द्वारा गठित श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के तत्वावधान में राम मंदिर का निर्माण तीव्र गति से हो रहा है। नींव भराई के बाद फर्श निर्माण पूरा हो चुका है और सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण की प्रक्रिया एक जून 2022 से चल रही है। ट्रस्ट के मुताबिक अब तक 40 प्रतिशत काम हो चुका है।
अयोध्या जोन की सहायक नगर आयुक्त अंकिता शुक्ला का कहना है कि मंदिरों को टैक्स से मुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है। इस संदर्भ में कई स्टेप पर मंथन हो रहा है जिसमें टोकन मनी के लिए अलग-अलग श्रेणियां तय की जा रही हैं। इसके बावजूद वार्डवार किए गये सर्वे में दर्ज किए गये भवनों को नया नंबर आवंटित किया गया है। यहां तक कि सैकड़ों भवन तो बेनामी दर्ज किए गये हैं जिनके भवन स्वामियों का नाम व पता तक नहीं शामिल है।
छह दिसम्बर 92 की घटना के बाद केंद्र सरकार ने अयोध्या एक्ट के जरिए सात जनवरी 1993 को रामजन्मभूमि समेत 70 एकड़ की परिधि में भूमि/भवनों को अधिग्रहीत कर लिया था। इसके कारण 1977-82 की पंचवर्षीय कर निर्धारण में आवंटित भवनों के नंबर ही 1991-92 में भी प्रभावी थी क्योंकि नगर निकाय अधिनियम 1916 के अन्तर्गत 1988-89 में पहली बार अयोध्या नगरपालिका परिषद का चुनाव हुआ था। इस बोर्ड में निर्धारण प्रक्रिया शुरु नहीं कराई जा सकी।
श्रीरामजन्मभूमि न्यास को पट्टे पर भूमि का आवंटन का मुस्लिमों ने किया था विरोध उधर देशव्यापी राम मंदिर आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नेतृत्व में प्रदेश में सरकार का गठन हुआ।1991 में श्रीराम जन्मभूमि न्यास को विवादित परिसर को छोड़कर आसपास की नजूल व मातहती भूमि को मिलाकर 42 एकड़ भूमि का बेमियादी पट्टा रामजन्मभूमि न्यास के पक्ष में करदिया था।








