कोरोना से सिर्फ फेफड़े ही खराब नहीं होते हैं, इस वायरस का लिवर और आंतों पर भी तगड़ा असर पड़ रहा है। यह आंतों को ब्लॉक कर देता है, जिससे गैंगरीन हो जाती है और आंतों को काटना पड़ता है। कुछ रोगी तो मर भी जाते हैं। जो बच गए, वे इस वक्त बहुत बुरी हालत में हैं। यह बात आईएमएसीजीपी रिफ्रेशर कोर्स में हैदराबाद से आए विशेषज्ञ डॉ. संदीप लखटकिया ने बताई।
उन्होंने इस तरह के रोगियों पर प्रस्तुति भी दी। बताया कि कोरोना संक्रमण ने नसों में ब्लॉकेज कर दिया। एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से नसों का ब्लॉकेज हटाया जा सकता। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सभागार में चल रहे रिफ्रेशर कोर्स में बताया गया कि कोरोना की चपेट में आए 20 रोगियों की आंतों में सूजन आ गई। इसके साथ ही आंतें प्रभावित भी हुईं।
कोरोना संक्रमण के आंतों में जाने पर रोगी को डायरिया हो जाता है। कोरोना की जांच लार और नाक के द्रव्य के अलावा मल के सैंपल से भी की जाती है। शुरुआत में लोग इसी भ्रम में रहे कि कोरोना सिर्फ फेफड़ों को ही खराब कर रहा है लेकिन अब पोस्ट कोविड रोगियों में आंतों की खराबी और गैंगरीन का लक्षण आ रहा है।
कुछ लोगों की पैरों की नसें ब्लॉक होने से गैंगरीन हुआ। बहुत से लोगों ने भ्रामक प्रचार के चलते आयुर्वेदिक दवा के नाम पर कैप्सूल खाए, उन्हें भी लिवर की समस्या हो गई है। इसके साथ ही डॉ. लखटकिया ने बताया कि इंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड से आंतों के बाहरी हिस्से के अलावा अंदरूनी ट्यूमर ब्लॉकेज आदि दिख जाता है। इससे रोग की डायग्नोसिस में आसानी हो रही है। पैंक्रियाज के आसपास की थैली का पानी भी निकालने में आसानी हो गई है। खाने की थैली के ब्लॉकेज के मामले में भी इस विधि से रास्ता बना सकते हैं।