
11 जुलाई को एसटीएच में इलाज के दौरान मौत हुई बंदी इरशाद की मौत मामले में पुलिस ने अज्ञात बंदियों और बंदीरक्षकों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। इरशाद के पिता का आरोप है कि उसके बेटे को बंदियों और बंदीरक्षकों ने मिलकर मार डाला है। बीमारी की कहानी गढ़ी गई है। रामपुर (यूपी) जिले के अहमदाबाद विलासपुर निवासी इरशाद (55) को रुद्रपुर की पुलिस ने धारा 307, 504, 506 के तहत 25 मई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 11 जुलाई को उसकी एसटीएच में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इरशाद के पिता इशाक बली ने एसएसपी को पत्र भेजकर आरोप लगाया कि वह नौ जुलाई को बेटे से मिलने के लिए जेल गए थे। उस समय ड्यूटी पर तैनात सिपाही ने नहीं दिया और उन्हें डांटकर भगा दिया। 12 जुलाई को फोन कर सूचना मिली कि 11 जुलाई को एसटीएच में उनके बेटे की मौत हो गई है। इशाक बली का आरोप है कि इसके पहले उनके बेटे की बीमारी की जानकारी जेल प्रशासन ने नहीं दी थी। बेटे की हत्या जेल में करने के बाद बीमारी की झूठी कहानी गढ़ी गई है। मौत के मामले में कोई कागज नहीं मिला है। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने धारा 302 के तहत अज्ञात बंदीरक्षकों और बंदियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।