
सुशीला तिवारी अस्पताल में सोमवार की रात बखेड़ा हो गया। जूनियर डॉक्टरों और सुरक्षाकर्मियों पर आरोप लगा कि उन्होंने मरीज का इलाज कराने के लिए तीन तीमारदारों को बंधक बनाकर पीट दिया। हंगामे की सूचना पर कांग्रेस के नेता भी पहुंच गए। वे हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग पर अड़ गए। एसपी सिटी, सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ भी अस्पताल पहुंच गए। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और एमएस ने हंगामा कर रहे जूनियर डॉक्टरों को शांत कराया। तनाव को देखते हुए अस्पताल में फोर्स तैनात की गई है। धानमिल डहरिया निवासी योगेश मौर्या ने पुलिस को बताया कि वह अपने पिता प्रेम शंकर मौर्या का इलाज कराने के लिए सोमवार की शाम एसटीएच की इमरजेंसी में आया था। यहां डॉक्टरों ने उसके पिता को आधे घंटे तक बैठाए रखा। पिता को चक्कर आ रहा था। वह चलने में असमर्थ थे। डॉक्टरों ने प्रेम शंकर को चलने के लिए कहा। योगेश के अनुसार उन्होंने डॉक्टरों से अनुरोध किया कि पिता चल फिर नहीं सकते हैं। पहले इलाज करना जरूरी है। आरोप है कि इसी बात को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने उसके साथ हाथापाई कर दी। योगेश के अनुसार उसने मदद के लिए अपने पड़ोसी दीवान सिंह बिष्ट और उमेश बुधानी को अस्पताल बुला लिया। दोनों ने डॉक्टरों से पूछताछ की तो आरोप है कि डॉक्टर और कर्मचारियों ने हाथापाई कर दी। एक युवक ने घटना की वीडियो बनानी शुरू की तो उसे हटा दिया गया। इसके बाद डॉक्टरों के साथ कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों ने दीवान सिंह बिष्ट और उमेश बुधानी को कमरे में बंधक बनाकर पीटना शुरू किया। घटना की सूचना मिलने के बाद कांग्रेस नेता सुमित हृदयेश, ग्राम प्रधान संगठन के पूर्व जिलाध्यक्ष कुंदन सिंह बोरा, कांग्रेस नेता प्रदीप सिंह बिष्ट सहित काफी सख्या में समर्थक अस्पताल पहुंचे। दीवान सिंह और उमेश बुधानी के शरीर से खून गिर रहा था। कांग्रेस नेताओं ने जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हंगामे बढ़ने पर एसपी सिटी डॉ. जगदीश चंद्र, सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, सीओ शांतनु पाराशर भी पहुंच गए। उमेश ने बताया कि उसकी चेन टूट गई है और घड़ी का नग भी गिर गया। दोनों को बंधक बनाकर पीटा गया है। सुमित हृदयेश ने एसपी सिटी और सीओ से सीसीटीवी फुटेज देखकर सख्त कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की निमर्मता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीओ ने इस मामले में कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। घायलों को इलाज के लिए पुलिस ने अपनी गाड़ी से बेस अस्पताल भेज दिया। इधर जूनियर डॉक्टरों ने भी अंदर से हल्ला शुरू कर दिया। सुरक्षाकमियों ने चैनल गेट का ताला बंद कर दिया। मारपीट की जानकारी मिलने पर प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा, एमएस डॉ. अरुण जोशी भी अस्पताल पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने जूनियर डॉक्टरों से पूछताछ की। जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि योगेश को यहां इलाज कराना पसंद नहीं था। इसी कारण उन्होंने अन्य अस्पताल में दिखाने की सलाह दी थी लेकिन उसने मारपीट करने के लिए अपने साथियों को बुलाया था। डॉक्टरों से दुर्व्यवहार करने पर विवाद हुआ है।
फुटेज के आधार पर होगी कार्रवाई