सीताबनी से महज 4 किलोमीटर की दूरी है इस अनमोल धरोहर की,,,, उत्तराखंड में स्थापत्य कला के बहुत ही बेजोड़ एवं बेमिसाल उदाहरण मिलते हैं कत्यूरी राजवंश का जब शासन था उस समय स्थापत्य कला से निर्मित ऐसे कई मंदिरों के समूह बनाए गए हैं जो अपनी आभा को आज भी बिखेरते हैं ।कुमाऊं के पर्वतीय जिलों की तरह नैनीताल जिले में स्थित रामनगर से 20 किलोमीटर दूर रामनगर पाटकोट मार्ग में चोपड़ा नामक गांव है, जिसमें 12 वीं सदी में बनाए गए मंदिरों के समूह देखने को मिलते हैं, यहां के स्थानीय लोग इसे मंदिरों के रूप में जानते हैं ,लेकिन पुरातत्व विभाग इन्हें वीरखम कहता है जो भी हो पर यह ऐतिहासिक धरोहर उपेक्षा का दंश झेल रही है, इसे ना तो पर्यटन के क्षेत्र में ना आध्यात्मिक जगत में कोई पहचान मिल पाई ।उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित रामनगर के चोपड़ा गांव में एक साथ 30 मंदिरों का समूह लोगों की जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। 1 ग्राम की बसासत से पहले सेवियर मंदिर एकांत में होना हर किसी की जिज्ञासा को बढ़ावा देता है, क्योंकि इस गांव के बसने से पहले वहां सिर्फ जंगल था ,वहां मंदिरों का समूह होना एक कौतूहल का विषय है ,इस गांव में स्थित इन मंदिरों के आकार बहुत छोटे हैं जिनकी लंबाई महज 1.97 मीटर से 1 पॉइंट 15 मीटर तक है। इन के मध्य भाग में 2 पंक्तियों का अभिलेख भी दर्ज है ।चोपड़ा गांव के स्थानीय निवासी ध्यानी राम बताते हैं की सर क्षेत्र में कत्यूर राजाओं के वंशज पहले यहां आकर पूजा अर्चना किया करते थे ।आज भी जागर (देवताओं का आवाहन करने वाली पूजा )मैं मुंनगुरु का उल्लेख कर क्षेत्र का नाम लिया जाता है। 2014 में पुरातत्व विभाग अल्मोड़ा के अधिकारियों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद इसे 12 वीं सदी के वीरखम बताते हुए भारत सरकार को इन्हें संरक्षण में लेने का अनुरोध किया था ,पुरातत्व विभाग अल्मोड़ा के क्षेत्रीय प्रभारी चंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि इन वीरखमों के संरक्षण की कवायद शुरू की गई थी लेकिन भारत सरकार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया।भारत सरकार द्वारा संरक्षण ना दिए जाने से यह ऐतिहासिक धरोहर विरानी में खो सकता है ,अगर पुरातत्व विभाग इसे संरक्षित करता तो यह भी एक पर्यटन स्थल बनता और इसी के जरिए गांव व आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन से रोजगार के द्वार ग्रामीणों के लिए खुलते।इन मंदिरों तक पहुंचने के लिए रामनगर पाटकोट मार्ग द्वारा गेवापानी होते हुए लगभग 18 किलोमीटर दूर छोटे वाहनों से जाया जा सकता।गेवापानी से 1 किलोमीटर दूर कच्चे रास्ते से आसानी से चोपड़ा गांव पहुंचा जा सकता है जहां पर हमें कत्यूरी वंश के इन मंदिरों के समूह के दर्शन हो सकते हैं…..
नैनीताल/ रामनगर : अनदेखी के चलते वीरान हो गई कत्यूर काल की अनमोल धरोहर, चोपड़ा गांव में है एक साथ 23 मंदिरों का समूह..
