
कबाड़ कचरा बेचकर, रद्दी बीनकर, रिक्शा चलाकर जीवन की गाड़ी खींचने वाले परिवार जब रात को सोए तो उनकी आंखों में न जाने कितने सपने थे, जिन्हें पूरा करने के लिए हर दिन भोर से सांझ ढलने तक बिना थके दौड़ते..जीवन के तमाम झंझावतों को झेलते हुए भी चेहरों पर खुशी ही दिखती थी…किसी से शिकायत न शिकवा। लेकिन काली रात कुछ परिवारों के लिए काल बनकर आई। बच्चों सहित सात लोग चीखते-चीखते जलकर कोयला हो गए, अनेक परिवारों का आशियाना राख में तब्दील हो गया…बच गए सिर्फ बर्बादी के आंसू।
हर तरफ गम और बर्बादी के निशां
राजधानी दिल्ली के गोकुलपुर गांव की झुग्गियों में शुक्रवार देर रात आग लगी तो चारों ओर चीख-पुकार मच गई। चिल्लाते हुए लोग इधर-उधर भागने लगे। हादसे के समय ज्यादातर लोग सो रहे थे। अचानक हुए शोरशराबे से उनकी नींद खुली। बाहर निकलकर देखा तो झुग्गियों में आग फैल चुकी थी। महिलाओं ने जैसे-तैसे सो रहे बच्चों को उठाया। झुग्गियों के बीच बने संकरे रास्तों से वह बच्चों को लेकर किसी तरह बाहर निकलीं।
बाहर मौजूद लोगों ने पानी डालकर आग पर काबू पाने का असफल प्रयास किया। लोगों को अपना सामान भी निकालने का समय नहीं मिल सका। स्थानीय लोगों का कहना था कि करीब 15 से 20 मिनट लोगों ने खुद ही आग पर काबू पाने का प्रयास किया। ज्यादातर झुग्गियों में रखे ज्वलनशील पदार्थ ने लोगों की मंशा को कामयाब नहीं होने दिया और आग हावी होती चली गई।वहां रहने वाले सुनील ने बताया कि यहां मेट्रो पिलर नंबर-12 के पास अमरपाल और मोनू पंडित नामक शख्स के दो प्लॉट हैं। इन पर अमरपाल और मोनू ने झुग्गियां बसवाई हुई हैं। यहां रहने वाले हर झुग्गी के लोगों से किराए के तौर पर 1200 से 1500 रुपये लिए जाते हैं। किराए के बदले यहां पर बिजली भी उपलब्ध कराई जाती है।शुक्रवार रात करीब 12.30 से 12.40 के बीच अचानक रज्जन की झुग्गी के पास रवि की झुग्गी में पीछे की ओर आग लग गई। आग कैसे लगी, इसका पता नहीं चल सका है। कुछ लोगों का कहना है कि बिजली के तारों में हुए शार्ट सर्किट के कारण पहले वहां आग लगी।इसके बाद धीरे-धीरे आग ने दोनों प्लॉट में बसी झुग्गियों को अपनी चपेट में ले लिया। मरने वाले दोनों परिवारों की झुग्गियां रवि की झुग्गी के बराबर और सामने वाली बताई जा रही है।आग लगने के बाद पिंटू अपने बच्चों को लेकर निकल भी गया था, लेकिन उसके दोनों बड़े बच्चे डर की वजह से किरण की झुग्गी में छिप गए।इस बीच आग बढ़ गई और पिंटू बच्चों को नहीं निकाल सका। अफरातफरी के बीच 1.10 बजे जब दमकल की गाड़ियां वहां पहुंची तो आग ने 33 झुग्गियों को अपनी चपेट में ले लिया था।
इनकी हुई मौत
गांव फाजिलपुर, उन्नाव (उत्तर प्रदेश) निवासी रज्जन की झुग्गी से उसके बेटे बबलू (30), रंजीत (17), बेटी रेशमा (16), बेटे सुजीत की गर्भवती पत्नी प्रियंका (22) और बबलू के बेटे अमित उर्फ शहंशाह (11) की मौत हो गई।
कब क्या हुआ घटना का विवरण…..
रात 12.30 से 12.40: गोकलपुर गांव में झुग्गियों आग लगी, रात 1.03 बजे: पुलिस और दमकल विभाग को दी सूचना
1.10 बजे: पुलिस व दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।
सुबह 4.00 बजे: आग पर काबू पाया गया, दमकल की 13 गाड़ियां कूलिंग में जुटी।
4.30 बजे: मबले से निकाले गए शव बुरी तरह झुलसे हुए थे।
5.00 बजे: क्राइम टीम मौके पर पहुंची और जांच शुरू की।
6.00 बजे: शवों को एंबुलेंस की मदद से मोर्चरी भेजा गया।
10.30 बजे: एफएसएल की टीम घटना स्थल पर पहुंची।
11.00 बजे: एक बार फिर भड़की आग, तुरंत पाया काबू।
11.41 बजे : उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी पहुंचे।
11.45 बजे: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी मौके पर पहुंचे।
दोपहर1.50 बजे: दिल्ली के मुख्यमंत्री मौके पर पहुंचे।
शाम 4.00 बजे: प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर हादसे पर दुख जाहिर किया।