
एक समय था जब छठ पूजा मुख्य रुप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश मनाया जाता था, लेकिन अब लगभग पूरे भारतवर्ष में यह त्यौहार प्रमुखता से मनाया जाने लगा है।इसी कारण इसकी न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व पटल पर एक अलग ही पहचान बन चुकी है। चार दिनों तक मनाये जाने वाले है आस्था के इस पर्व की शुरुआत उगते और डूबते सूर्य की अराधाना के साथ होती है।कार्तिक माह की षष्ठी तिथि को मनाये जाने के कारण इसे छठ पूजा कहा जाता है। वर्ष भर में दो बार मनाया जाने वाले ईस पर्व को जहां एक बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। वहीं कार्तिक महीने में मनाए जाने वाले छठ की अधिक मान्यता होती है इसीलिये पूरे भारत वर्ष में इस पर्व को व्यापक रूप से मनाया जाता है।
चार दिनों तक चलने वाला यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से शुरू होता है।वहीं अयोध्या में भी आज नहाय-खाय के साथ शुरु होगा।कार्तिक मास की पंचमी को खरना भी कहा जाता है। इस दिन व्रती शाम को गुड़, अरवा चावल की बनी खीर और रोटी खाते प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसके बाद तीसरे दिन भगवान सूर्य को संध्या में अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को। खास बात यह है कि खरना के दिन शाम में प्रसाद ग्रहण करने के बाद से करीब 36 घंटे तक यानी उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने तक व्रती यह व्रत निर्जला करते हैं। इन चार दिनों में व्रतियों के लिए प्यजा, लहसून या किसी तरह का मांसाहारी भोजन वर्जित रहता है।
छठ पर्व की तैयारी अयोध्या में भी जोरों पर हैं हर ओर बाजारों में रोनक दिख रही है। महिलायें हों या पुरुष सभी बाजारों में निकल कर छठ पूजा में लगने वाले सभी जरुरत के सामानों को खरीदने में लगे हुये हैं।