पंचायत चुनाव निरस्त होते ही कई ग्रामीण क्षेत्रो के विकास मानो थम सा गया वही सरकार द्वारा कोरोना का हवाला देते हुये त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव निरस्त किया गया वही कुछ ग्रामीणों ने जैसे ही पंचायत के लिए नये मुखिया व पांचो के फॉर्म भरे गये नए मुखिया से विकास की उम्मीदें बढ़ने लगी थीे क्योंकि कई ग्रामीण के सरपंचों द्वारा कई विकास नही किये गए विकास तो छोड़िए बात तक ठीक से नही करते थे, बस कागजो पर विकास दर्ज हुए मगर करीब एक महीने से अधिक समय से पंचायत के मुखिया (सरपंच) का कार्यकाल भी समाप्त कर दीया गया है जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार द्वारा भेजी गई राशिया निकल नही पा रही है जिससे ग्रामीण केे कार्यो का भुगतान भी बंद है जिसके कारण ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पर सबसे ज्यादा फर्क हुआ है जिसमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना, मनरेगा, शौचालय ,नाडेप डेम ,प्रधान मंत्री ,आवास जैसे कई विकास कार्य शामिल इसके अलावा पंचायत के कार्यलय के छोटे मोटे कर्मचारियों का भुगतान भी नही हो पा रहा है जिससे उनकी आर्थिक तंगियो का सामना करना पड़ रहा है वही दूसरी ओर ग्रामीण ने नये मुखिया के जिताकार उनसे विकास की आस पर पानी फेर दिया जहाँ ग्रमीण द्वारा चुनाव करवाने की मांग की है ताकि विकास का पहिया निरंतर चलाता रहे
वी ओ 01
ग्रामीणों का कहना है कि जल्द से जल्द भारत सरकार को कोविड-19 की गाइड लाइन के अनुसार कोई उचित कदम उठाना चाहिए जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधर सके जबकि भारत सरकार के आदेश अनुसार वर्ष 2022 में पूरे देश में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सभी को मिलना अनिवार्य था लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या 2022 में सभी पात्र हितग्राहियों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिल पाएगा
खकनार बुरहानपुर / मध्य प्रदेश : पंचायत चुनाव निरस्त होते ही ग्रामीण क्षेत्रो में विकास मानो थम सा गया ।।
