
मध्यप्रदेश के सभी स्कूलों में शासन द्वारा स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मध्यान भोजन की योजना चल रही है लेकिन मध्यान भोजन का सारा कार्य शासन द्वारा छोटी-छोटी समितियां बनाकर 10–10 महिलाओं का ग्रुप बनाकर समितियों को सौंप दिया गया और मध्यान भोजन के नाम पर शासन लाखों रुपया खर्च कर रही है फिर भी कुछ पैसे बचाने के लिए यह समितियां स्कूली बच्चों को समय-समय पर शासन द्वारा दिए गए मेनू के अनुसार खाना नहीं खिला पा रही है ऐसा ही मामला बुरहानपुर जिले के खकनार तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव रगई में देखा गया है यहां पर मेंनू के अनुसार शुक्रवार को रोटी मसूर की दाल हरी सब्जी मटर या चना की सब्जी और शनिवार के दिन पराठा मिक्स दाल और हरी सब्जी खिलाने के नियम है लेकिन यह पोषक आहार खिलाने के बजाय बच्चों को शुक्रवार के दिन खिचड़ी और शनिवार के दिन दाल चिकली दाल चिकली का मतलब दाल में आटे की छोटी-छोटी लोइयां बनाकर डाली जाती है यह चीजें खिलाई जा रही है यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य समाज क्षेत्र होने के कारण यहां पर ना तो कोई जिम्मेदार व्यक्ति देखने वाला है ना बोलने वाला है और ना ही कोई अधिकारी समय-समय पर यहां पर जांच के लिए आता है इन स्कूलों में शिक्षकों की भी कमी होने के कारण पढ़ाई भी व्यवस्थित ढंग से नहीं हो पाती है यहां पर दो टीचर होने के बाद भी एक ही टीचर पूरी स्कूल संभाल रहा है
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जितेंद्र सिंह तोमर से पूछने पर बताया गया कि स्कूल में सब्जियां खत्म हो जाने के कारण खिचड़ी और दाल चीकोली बनाई गई जबकि ग्राम रगई से लगभग 4 से5 किलोमीटर की दूरी पर खकनार तहसील है जहां पर कभी भी जाकर सब्जियां ला सकते हैं लेकिन यहां पर हाट बाजार का रास्ता देखा जाता है खकनार में सोमवार के दिन हाट बाजार लगता है जहां से ये इकट्ठे सब्जी वाले आते हैं और खत्म हो जाने पर हरी सब्जी लाने के बजाय खिचड़ी दाल चीकोली जिसे खाने का उपयोग करते हैं
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रतीलाल पालकी ग्राम पंचायत रगई सचिव से पूछने पर बताया गया कि लगभग 4 से 5 दिनों सेमध्यान भोजन तरफ ध्यान नहीं देने के कारण यह अपनी मनमानियां कर रहा है सोचने वाली बात यह है कि ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि जिम्मेदार नागरिक आखिर कब ध्यान देंगे क्या बच्चों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कभी कार्रवाई हो पाएगी