केंद्र सरकार ने एक जुलाई से महंगाई भत्ते (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) देने की घोषणा करने के बाद मंगलवार को एक बड़ा आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया कि एक जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021 तक डीए फ्रीज था। उस अवधि के दौरान डीए की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इन 18 महीनों में डीए की दर 17 प्रतिशत ही मानी जाए। इसका मतलब ये हुआ कि सरकार ने एक जुलाई 2021 से 28 फीसदी डीए देने की जो घोषणा की है, वह बढ़ोतरी 24 घंटे में हो गई है। एकाएक 11 फीसदी डीए बढ़ गया। सरकारी कर्मियों का कहना है कि केंद्र ने ये आदेश जारी कर 18 महीने का एरियर मिलने की संभावना खत्म कर दी है। अगर सरकार डीए को एक जनवरी 2020 से ही बढ़ाना शुरू करती तो अब तक कर्मियों के खाते में अच्छा खासा एरियर जमा होता। राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि केंद्र सरकार को कर्मचारियों व पेंशनभोगियों को 18 माह का एरियर देना चाहिए। डीए/डीआर कर्मचारियों के वेतन और पेंशनभोगियों की पेंशन का एक हिस्सा होता है। सरकार इससे मुंह नहीं मोड़ सकती। केंद्र सरकार के 20 जुलाई को जारी पत्र में कहा गया है कि अभी तक डीए फ्रीज था। उसकी दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। एक जनवरी, 2020 से 30 जून, 2021 तक डीए डीआर की दर 17 प्रतिशत ही मानी जाए। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने गत सप्ताह डीए देने की घोषणा करते हुए कहा था कि अब 28 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ये भत्ते एक जुलाई 2021 से मिलेंगे। उन्होंने एरियर को लेकर कोई बात नहीं कही।
राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 17 जुलाई को कैबिनेट सचिव को लिखे पत्र में यह आग्रह किया था कि कर्मियों को एक जनवरी 2020 से लेकर अभी तक का एरियर भी दिया जाए। इस मांग के तीन दिन बाद ही केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अलग से एक पत्र जारी कर दिया। इसमें लिख दिया गया कि बढ़े हुए डीए की दर एक जुलाई 2021 से 28 फीसदी मान ली जाए। इसका मतलब तो यही हुआ कि जून 2021 और जुलाई 2021 के बीच डीए में एकाएक 11 फीसदी वृद्धि हो गई। डेढ़ साल की अवधि में डीए दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।