
केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट गुरुवार को मेरठ पहुंचे। उनका हेलीकॉप्टर सुबह 10 बजे के करीब पुलिस लाइन में उतरा। सांसद राजेंद्र अग्रवाल और महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल ने उनकी अगुवाई की। इसके बाद मंत्री अजय भट्ट पहले कुछ समय के लिए पुलिस लाइन में रूके और फिर शहीद सूबेदार राम सिंह के आवास इशापुरम, मवाना के लिए रवाना हो गए। राज्यमंत्री अजय भट्ट ने शहीद के घर पहुंचकर परिजनों से बातचीत की और उन्हें सांत्वना दी। इस दौरान उन्होंने परिजनों से कहा कि आपके हर दुख में सरकार आपके साथ है। वहीं शहीद के परिजनों ने राज्यमंत्री के सामने मांग रखी कि परिवार में दो बच्चों को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। इसके अलावा शहीद के नाम पर सड़क बनवाई जाए। परिजनों ने कहा कि उनकी मूर्ति लगाकर स्मृति में शिलालेख भी लगाया जाए, ताकि शहीद को पूरा सम्मान मिले। परिवार से मिलने के बाद मंत्री फिर से पुलिस लाइन पहुंचे और हेलीकॉप्टर से रवाना हो गए।
सांसद और विधायक को लिखा पत्र
शहीद सूबेदार राम सिंह के मित्र कैप्टन वीर सिंह रावत ने गढ़वाल सभा की ओर से सांसद राजेंद्र अग्रवाल और कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल को पत्र लिखा। पत्र में मांग गई कि शहीद सूबेदार राम सिंह के नाम पर इशापुरम में सड़क बनवाई जाए। उन्होंने कहा कि इस सड़क का नाम शहीद के नाम हो। इसके अलावा यह भी मांग की कि इसी क्षेत्र में शहीद की मूर्ति लगाकर उस पर सूबेदार राम सिंह की शहादत का उल्लेख करते हुए शिलालेख लगाया जाए।
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में हुए थे शहीद
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों से लोहा लेते हुए मेरठ निवासी जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) राम सिंह शहीद हो गए थे। जेसीओ राम सिंह ने अंतिम समय में भी मातृभूमि के लिए अपना फर्ज अदा किया। गोली लगने के बाद भी उन्होंने जवाबी गोलीबारी में आतंकी को ढेर कर दिया था।
बताया गया कि राम सिंह 27 जुलाई को एक महीने की छुट्टी के बाद जम्मू गए थे। वे राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट में तैनात थे, इसलिए आतंकी ऑपरेशन में उनका अक्सर आना-जाना रहता था। बीते गुरुवार सुबह ही उनकी पत्नी अनीता भंडारी से फोन पर रोजाना की तरह बात हुई थी। शाम को परिजनों को सूचना मिली कि वे शहीद हो गए। राम सिंह छह महीने बाद रिटायर होने वाले थे। रिटायरमेंट के बाद परिवार के साथ रहने के उनके बड़े अरमान थे। लेकिन उनके अरमान अधूरे ही रह गए। वहीं उनकी शहादत की खबर गंगानगर के इशापुरम में उनके घर पहुंची तो कोहराम मच गया था। पत्नी अनीता भंडारी बेहोश हो गईं। बच्चे बार-बार बिलखते हुए यही कहते रहे थे कि पापा… छह महीने बाद आपने साथ रहने का वादा किया था। उस वादे को अब कौन निभाएगा।
पत्नी रोते हुए बस यही कहती रहीं कि अगले साल 28 फरवरी को उनके तीस साल नौकरी में पूरे हो रहे थे। इसके बाद वे सेवानिवृत्त होकर परिवार के साथ रहने वाले थे। इतने दिन से हम अलग-अलग रह रहे थे, अब साथ रहना था लेकिन बीच में ही साथ छोड़ दिया। बेटा और बेटियां भी बिलखते रहे कि पापा अब तो साथ रहने का समय आया था, अब ही चले गए। परिजनों का दुख देखकर आसपास के लोगों की आंखें भी नम हो गईं थी। हर कोई यही कह रहा था कि जब भी आते थे तो सभी से प्यार से बात करते थे।