आज हुआ बंगाल विधानसभा में विधान परिषद का प्रस्ताव पास, अब होगी दीदी के लिए आगे की राह मुश्किल।

Spread the love

बंगाल विधानसभा चुनाव ने मंगलवार (छह जुलाई) को राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पास कर दिया। दरअसल, राज्य सरकार की मंशा विधानसभा के रास्ते ममता बनर्जी की मुख्यमंत्री की गद्दी कायम रखने की है। ऐसे में ममता सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में 196 मत पड़े, जबकि 59 मत विरोध में डाले गए। अब सवाल उठता है कि क्या यह प्रस्ताव पास होने भर से बंगाल में विधान परिषद का गठन मुमकिन है या अभी दीदी की राह में कई रोड़े बाकी हैं?

जानकारी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में जब विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी, तब ममता बनर्जी ने उम्र का हवाला देते हुए कई नेताओं को टिकट की सूची से बाहर कर दिया था। हालांकि, उन्होंने राज्य में विधान परिषद के गठन का आश्वासन दिया था और उन नेताओं को विधान परिषद सदस्य बनाने की बात कही थी। गौरतलब है कि बंगाल में 294 सदस्यीय विधानसभा है, लेकिन राज्य में विधान परिषद की व्यवस्था नहीं है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में पांच दशक के बाद एक बार फिर विधान परिषद का गठन किया जा रहा है। टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का प्रस्ताव विधानसभा से पास हो गया। अब इस प्रस्ताव के सामने लोकसभा और राज्यसभा की चुनौती होगी, क्योंकि संसद की स्वीकृति के लिए यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। अगर मोदी सरकार इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं करती है तो बंगाल की ममता सरकार के साथ एक बार फिर टकराव की स्थिति बन सकती है।
पांच दशक पहले बंगाल में थी विधान परिषद
बता दें कि पश्चिम बंगाल में भले ही आज विधान परिषद के लिए प्रस्ताव पास किया गया, लेकिन पांच दशक पहले राज्य में विधान परिषद होती थी। दरअसल, 1935 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने बंगाल को दो सदनों में बांटा था। इसमें विधान परिषद और विधानसभा शामिल थे। विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का तय किया गया, जिसके सदस्यों की संख्या 250 थी। वहीं, विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 63 से 65 तक रखी गई। हर तीन साल बाद एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल खत्म होता था। आजादी के बाद 1952 में बंगाल में विधानसभा और विधान परिषद की व्यवस्था बरकरार रखी गई। उस दौरान 5 जून 1952 को विधान परिषद का गठन किया गया, जिसमें सदस्यों की संख्या 51 कर दी गई। दरअसल, उस वक्त विधानसभा में 240 सदस्य होते थे। हालांकि, 21 मार्च 1969 को राज्य विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके आधार पर केंद्र सरकार ने 1 अगस्त 1969 को पश्चिम बंगाल विधान परिषद को समाप्त कर दिया।

और पढ़े  शर्मनाक:- नहीं पहुंची एंबुलेंस तो मरीज को तिरपाल से ढक कर खाट पर लिटा 7 KM पैदल चले परिजन

Spread the love
  • Related Posts

    महिला से दरिंदगी: महिला संग 5 लोगों की हैवानियत की हदें पार, रेलवे तकनीशियन भी शामिल, SIT का खुलासा

    Spread the love

    Spread the love   पानीपत की एक महिला के साथ कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन पर सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जीआरपी की एसआईटी ने खुलासा कर दिया। रेलवे तकनीशियन भजनलाल और…


    Spread the love

    राज्यसभा: राष्ट्रपति मुर्मू ने 4 लोगों को किया राज्यसभा के लिए मनोनीत, उज्ज्वल निकम-मीनाक्षी जैन के नाम भी शामिल

    Spread the love

    Spread the love   राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार लोगों को मनोनीत किया है। इनमें सरकारी वकील उज्ज्वल देवराव निकम, केरल के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सी.…


    Spread the love

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *