
राम मंदिर में झारखंड की खदानों से उत्पादित तांबे का होगा उपयोग, एलएंडटी की टीम गयी अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर में सिंहभूम ताम्र पट्टी की खदानों से उत्पादित तांबे का उपयोग होगा. राम मंदिर निर्माण की तकनीकी देखरेख करने वाली एलएंडटी की टीम शुक्रवार को आइसीसी के दौरे पर आयी थी और तांबे का सैंपल लेकर गयी है. दरअसल, राम मंदिर की दीवारों में करीब 34 टन तांबा लगाने की योजना है. सिंहभूम ताम्र पट्टी ने भारतीय ताम्र उद्योग की जननी के रूप में अपनी पहचान बनायी है.
1929 में मऊभंडार कारखाना में स्मेलटर की शुरूआत हुई. राम मंदिर की शोभा बढ़ाने के लिए तैयार है. मऊभंडार आइसीसी कारखाना से उत्पादित तांबा राम मंदिर में लगाया जाता है तो घाटशिला का नाम एक बार फिर देश में अपनी अलग पहचान बनायेगा.
34 टन तांबा की कीमत 2 करोड़ 30 लाख रुपये
अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर की दीवारों में 34 टन तांबा लगाने की योजना है. 34 टन तांबा की कीमत आज की एलइएम प्राइस के मुताबिक 2 करोड़ 30 लाख की होती है. 2 करोड़ 30 लाख तांबे का उपयोग अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की दीवारों में होगा. लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमइ) के तहत एक टन तांबा की कीमत अभी 9 हजार डॉलर है. अगर भारतीय रुपयों में इसका आकलन किया जाये तो एक टन तांबा की कीमत छह लाख 75 हजार रुपये है
21 अक्तूबर को अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की देखरेख करने वाली कंपनी एलएंडटी की टीम आयी थी. एलएंडटी के पदाधिकारी रात भर मऊभंडार में रुके. दूसरे दिन शुक्रवार शाम में तांबा का सैंपल लेकर गये हैं. एलएंडटी के पदाधिकारी और अन्य पदाधिकारी सैंपल देखकर यह तय करेंगे कि आइसीसी के तांबे को मंदिर निर्माण में उपयोग में लाया जाये या नहीं.