उत्तराखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता जगदीश चन्द्र जोशी ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र देकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अनुवाद ईकाई की स्थापना तथा द्विभाषी (हिंदी एवं अंग्रेजी) निर्णय/आदेश जारी किए जाने के संबंध में प्रार्थना की है।
एडवोकेट जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के अधिकांश नागरिकों की मातृभाषा हिन्दी है तथा वह भाषा है जिसे लोग बचपन से बोलते, सुनते आए हैं। उन्होंने कहा कि तथ्यों, भावों, निर्देशों, विधिक सूक्ष्मताओं तथा न्यायालय के आदेशों की समझ हिन्दी में अंग्रेजी की अपेक्षा अधिक स्वाभाविक, सटीक एवं पूर्ण रूप से हो पाती है। भाषा केवल पढ़ने या अनुवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि समझ और बोध का माध्यम है। उन्होंने कहा कि जहां किसी नागरिक या वादी को अंग्रेजी का कार्यात्मक ज्ञान भी हो वहां भी न्यायालय के आदेशों को समझना मुश्किल होता है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय की अधिकांश न्यायालय कार्यवाहियों, आदेश एवं निर्णय केवल अंग्रेजी भाषा में जारी किए जाते हैं। यद्यपि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 के अंतर्गत अंग्रेजी प्रामाणिक भाषा है। लेकिन हिन्दी अनुवाद के अभाव में वादकारियों को उन न्यायालय के निर्देशों को समझने में वास्तविक कठिनाई होती है। उन्होने कहा कि भारत की जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की लगभग 57 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दी को प्रथम, द्वितीय या तृतीय भाषा के रूप में बोलती है, जबकि केवल लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या को अंग्रेजी का जान है। उत्तराखंड राज्य में लगभग 43 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दी को मातृभाषा के रूप में बोलती है।









