पौड़ी : जल शक्ति अभियान ’कैच द रेन’ कार्यो के संबंध में केन्द्रीय नोडल टीम जनपद भ्रमण पर.

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̊ निदेशक इस्पात मंत्रालय और केन्द्रीय नोडल अधिकारी अरूण कुमार और अश्वनी, अरविन्द रानाडे वैज्ञानिक राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की के नेतृत्व में जल शक्ति अभियान ’कैच द रेन’ कार्योें के निरीक्षण के लिए केन्द्रीय नोडल टीम भ्रमण पर है।
आज विकास भवन सभागार में जनपद के विभिन्न विभागों ने उनके जल शक्ति अभियान, अमृत सरोवर योजना, जल स्त्रोत पुनर्जीवन, वर्षा जल संरक्षण, चाल-खाल, नौले, वाटर पौन्ड, माइक्रो डैम इत्यादि संबधित कार्यो का विभागवार प्रजेन्टेशन दिया गया। इस दौरान सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई, जल संस्थान, पेयजल निगम, ग्राम्य विकास, कृषि विभाग आदि विभागों ने जल शक्ति अभियान के कार्यो के साथ पर्यावरण संरक्षण, मृदा संरक्षण और वनीकरण के कार्यो की अभिनव पहल और भविष्य की कार्ययोजना के बारे में भी अवगत कराया।
विभागीय अधिकारियों ने प्रथम चरण में वाटर बॉडी चिन्ह्किरण, द्वितीय चरण में उनकी मैपिंग, तृतीय चरण में जियो टैगिंग और चर्तुथ चरण में कार्य प्रारम्भ आदि का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि बनाये जा रहे वाटर निकायों की अवसंरचना में फ्रीडम फाइटर्स विवरण, कैच द रेन अभियान की थीम आधारित पेंटिंग और निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गयी और लगातार की जा रही है।
इस दौरान निदेशक नोडल केन्द्रीय टीम अरुण कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन व मनुष्यों द्वारा जल के अवैज्ञानिक दोहन के चलते जल संकट विश्वव्यापी हो चुका है। शहरों में भूमिगत जल नीचे जा रहा है। पहाड़ों में जल स्त्रोत झरने सूखते जा रहे है, जिस कारण जल संरक्षण व मृदा संरक्षण मुख्य चिंतन के केन्द्र में आ गया है। कहा कि जल संरक्षण के प्रभाव मिलजुलकर और व्यक्तिगत स्तर पर गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक एक जन आन्दोलन के रूप में होने चाहिए। उन्होंने जनपद में जल संरक्षण व जल संवर्धन के लिये किये जा रहे कार्यों की से संतुष्टि व्यक्त करते हुए जनपद में विभिन्न विभागों के विभागीय स्तर पर तथा मनरेगा व अन्य वित्तीय स्रोतों के डप्टेलिंग और कन्वर्जेन्स से किये जा रहे कार्यों के अच्छे परिणाम सामने आयेगें।
इस दौरान राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की की प्रो0 अश्वनी अरविन्द रानाडे ने कहा कि जल शक्ति अभियान, अमृत सरोवर अभियान और वृक्षारोपण के साथ-साथ मृदा संरक्षण व संवर्द्धन में परम्परागत तरीके के साथ-साथ जो भी आधुनिक रिसर्च हो रहे हैं और जो भी नई तकनीक सामने आ रही है उनका भी उपयोग करेंगें तो और बेहतर परिणाम आयेगें। उन्होंन रूड़की तकनीकि संस्थान द्वारा इन अभियान में हर सम्भव तकनीकि मद्द देने का आश्वासन देते हुए कहा कि हमें न केवल जल विहीन जंगल, वन्यजीव जैसे प्रकृति के आभूषणों को बचाने के लिए सबकी भागीदारी लेनी होगी क्योंकि प्रकृति संरक्षण के कार्यों की व्यापकता बहुत अधिक है।
आयोजित बैठक के पश्चात केन्द्रीय नोडल अधिकारी अरूण कुमार और अश्वनी, अरविन्द रानाडे वैज्ञानिक राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की की टीम ने कैवर्स में मनरेगा कार्यो का स्थलीय निरीक्षण भी किया। इसके साथ ही उन्होंने वृक्षारोपण में प्रतिभाग कर ग्रामीणों के साथ कैच द रेन अभियान के सम्बन्ध में चर्चा की।

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