पटना हाईकोर्ट: हाईकोर्ट ने लगाई बिहार में जातीय जन-गणना पर रोक, साथ ही अगली सुनवाई तक रिपोर्ट नहीं बनाने का दिया आदेश।।
बिहार में जाति आधारित जन-गणना पर पटना हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। तीन जुलाई को अगलगी सुनवाई होगी, तब तक किसी भी तरह के रिपोर्ट बनाने पर रोक लगा दी गई है। यह आदेश गुरुवार दोपहर ढाई बजे के बाद चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनाया। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अभिनव श्रीवास्तव और दीनू कुमार और बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने अपना-अपना पक्ष रखा। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता से पूछा था कि सरकार को यह कराना था तो इसके लिए कोई कानून क्यों नहीं पास किया? इसपर महाधिवक्ता शाही ने जवाब दिया था कि राज्यपाल के अभिभाषण में सारी बातें स्पष्ट की गईं कि इसे किस आधार पर कराया जा रहा है और इसका लक्ष्य अंतिम तौर पर राज्य की जनता के लिए योजनाओं को बनाने और क्रियान्वित करने का है।
क्या दलीलें है याचिकाकर्ताओं की-
1. “बिहार सरकार जातीय गणना के नाम पर एक-एक जन की गणना कर रही है, इसलिए यह जनगणना है। जनगणना का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। यह राज्य सूची या संवर्ती सूची में नहीं है। सर्वे बताकर हर आदमी को गिनना जनगणना है और यह राज्य सरकार की ओर से कराना असंवैधानिक है।”
2. “राज्य सरकार एक-एक आदमी को गिनवा रही है और इसमें कई जातियों का नाम गायब है, जबकि कई जातियों का नाम बदल दिया गया है। ऐसे में जिस आदमी की गणना नहीं होगी, उसका मौलिक अधिकार छिन सकता है। आधार समेत सारे दस्तावेज रहने पर भी किसी का मौलिक अधिकार छीनने का हक राज्य सरकार को नहीं है।