1961-62 में शुरू हुआ आईडीपीएल (इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल लिमिटेड) का सफर यूं तो 52 साल में ही खत्म हो गया था, लेकिन अब 60 साल लीज की अवधि भी समाप्त हो गई है आईडीपीएल को यह भूमि वन विभाग की ओर से लीज पर दी गई थी।
अब वन विभाग ने भूमि पर कब्जे की कार्रवाई शुरू कर दी है। भूमि के नाप जोख के साथ तारबाड़ भी की जा रही है। वन विभाग और प्रशासन की संयुक्त टीम ने भूमि पर अवैध रूप से बसे 611 परिवारों को चिन्हित किया है लेकिन इन परिवारों का विस्थापन सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।
ढाई सौ एकड़ से अधिक भूमि पर है अतिक्रमण
वर्ष 1996 में जब फैक्ट्री में उत्पादन सीमित कर दिया गया, उसके बाद से आईडीपीएल में कब्जे होते चले गए। आज स्थिति यह है कि ढाई सौ एकड़ से अधिक भूमि अतिक्रमण की चपेट में है। यहां 48 एकड़ में एक करीब 951 परिवारों का कब्जा है। कृष्णा नगर नाम से बसे इस इलाके में आठ से दस हजार की आबादी निवास करती है। जबकि 200 एकड़ भूमि विभिन्न सरकारी विभागों और पूर्व में आईडीपीएल में काम करने वाले कर्मचारियों और अन्य के पास है।
शासन में हो चुकी है कई दौर की बैठकें
आईडीपीएल के मामले में शासन स्तर पर मुख्य सचिव से लेकर तमाम अधिकारियों की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। वन विभाग की ओर से शासन को पूरी स्थिति से अवगत कराया जा चुका है। लेकिन अतिक्रमित भूमि पर एक बड़ी बसावट के चलते कोई भी इस मामले में खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं है। कर्मचारियों को दे दी थी एच्छिक सेवानिवृत्ति फैक्ट्री में वर्ष 1967 में उत्पादन शुरू हुआ था। टेटरासाइक्लिन और अन्य जीवन रक्षक औषधि का निर्माण करने वाली इस फैक्ट्री को ऋषिकेश की अर्थतंत्र की रीढ़ कहा जाता था। लेकिन वर्ष 1996 में फैक्ट्री में उत्पादन सीमित कर दिया गया था। यहां काम करने वाले करीब साढे़ चार हजार कर्मचारियों को एच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी।
पुनर्जीवन को लेकर सियासत हुई खूब
आइडीपीएल के पुनर्जीवन को लेकर सियासत भी खूब हुई। जनप्रतिनिधियों ने इसके लिए कई वायदे किए। कई स्तर पर बातचीत भी हुई, मगर परिणाम कुछ नहीं निकला। यहां की आवासीय कॉलोनी में करीब 26 सौ भवन बने हैं। इनमें 1162 खाली पड़े हैं, जो खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं।
आईडीपीएल में है कन्वेंशन सेंटर बनाने की योजना
सरकार की आईडीपीएल में अंतरराष्ट्रीय स्तर का कन्वेंशन सेंटर स्थापित करने की योजना है। स्पेशल टूरिज्म जोन के तहत यहां बायोडायवर्सिटी पार्क, इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, रिजार्ट, होटल, वैलनेस सेंटर बनाए जाने प्रस्तावित हैं। दावा किया जा रहा है कि इसके स्थापित होने से पर्यटन व तीर्थाटन के क्षेत्र में भी बढ़ोतरी होगी, साथ ही व्यावसाय की गतिविधियां भी बढ़ेंगी।
आईडीपीएल का सफर
वर्ष 1963 में आइडीपीएल फैक्ट्री का निर्माण शुरू हुआ
वर्ष 1967 में पहला उत्पादन टेटरासाइकलिन का हुआ
वर्ष 1996 में बल्क ड्रग बंद हुआ
अब तक माला डी और माला एन का हो रहा था उत्पादन
आइडीपीएल का पेट्रोल पंप, वर्कशॉप, फायर ब्रिगेड अधिकतर आवासीय भवन जीर्णशीर्ण हालत में
2600 आवासीय मकानों में 1162 खाली
उजड़ेंगे कई विभागों के दफ्तर
शिवालिक परियोजना बीआरओ को अस्पताल का भवन, बैचलर हॉस्टल सहित करीब 9 आवासीय भवन दिए
बीएसएनएल वालों को हॉस्टल और आवास दिए
आयकर विभाग को भवन तथा दस कमरे दिए
इंटर कॉलेज के स्टाफ को 60 कमरे दिए
पुलिस विभाग को चैकी और 81 कमरे दिए