रामनगरी अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा में अवध सहित कई प्रांतों के श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। भगवान राम और उनकी नगरी के प्रति अगाध आस्था ऐसे लाखों लोगों को एक सतह पर खड़ा करती है। इसको पुष्टि परिक्रमा में उमड़े हर वर्ग के भक्तों से होती दिखी।
बच्चे, बूढ़े और जवान… सबमें राम के प्रति आस्था ललक रही थी। पांच साल के बच्चे से लेकर 80 साल के वृद्ध तक परिक्रमा पथ को नापते नजर आए तो 42 किमी की परिधि में आस्था की इंद्रधनुषी छटा बिखरती दिखी। हर किसी में राम नाम का मोती लूटने की होड़ दिखी।
प्रयागराज निवासी आलोक खरे अपने परिवार के साथ परिक्रमा कर रहे थे बोले यह परिक्रमा नहीं, राम नाम का मोती है। चार साल का मंगल भी परिक्रमा पथ पर दौड़ रहा था। पिता राजकरन बोले थोड़ी दूर चलता है, जब थक जाता है तो कंधे पर बिठा लेता हूं। यह इसकी पहली परिक्रमा है।
बस्ती के 75 वर्षीय अभयराम द्विवेदी रामनाम जपते हुए बड़े जा रहे थे। बोले- मुझमें अब कहां शक्ति बची है। ये तो मेरे राम की कृपा है जो मैं परिक्रमा कर रहा हूं। गोंडा के विजय व अर्जुन अभी छात्र हैं। कहा कि पांचकोसी की आध्यात्मिक परिधि की परिक्रमा करने से भक्तिमार्ग से जुड़े रहने की प्रेरणा मिलती है।
राम के प्रति गहन आस्था की झलक दिव्यांग राम करन कुशवाहा में दिखी। वे करीब 63 साल के हैं। बताया कि 14-15 बार पंचकोसी परिक्रमा कर चुके हैं। कहा कि दिव्यांग होते हुए परिक्रमा कर लेता हूं, इससे बड़ी कृपा राम की और क्या हो सकती है।
इसी तरह 35 वर्षीय साधना पेशे से शिक्षक हैं, अपने पति के साथ परिक्रमा पथ पर थीं, बोलीं बदलती अयोध्या को निहारने की इच्छा थी। साथ ही पंचकोसी परिक्रमा करने से पूरे अयोध्या धाम के तीर्थों की परिक्रमा का फल प्राप्त हो जाता है।
बलरामपुर से पहुंची माला देवी ने बताया कि 14 कोसी परिक्रमा को भी किया और पंच कोसी परिक्रमा भी कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अबकी बार रामलला अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं, उनके दर्शन की भी अभिलाषा थी। अयोध्या पहले से भव्य हो गई है। पहले की अयोध्या और आज की अयोध्या में बहुत बदलाव आ गया है। कुछेक परिक्रमार्थी अव्यवस्थाओं से परेशान थे, लेकिन रामनाम संकीर्तन करते बढ़े जा रहे थे।