रविवार को सुबह से राम मंदिर परिसर में विविध कार्यक्रम शुरू हो गए। दोपहर में ठीक 12 बजे भगवान सूर्य ने रामलला के ललाट पर तिलक किया गया।
इस मौके का साक्षी बनने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचे।
सूर्य तिलक को सही तरीके से कराने के लिए इसरो के साथ देश के विभिन्न आईआईटी के वैज्ञानिक इसका पूर्वाभ्यास करते रहे। शनिवार को अंतिम बार इसका सफल ट्रायल किया गया था।
प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे थे।
रामनवमी पर्व में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु।
रविवार सुबह 3:30 बजे से मंदिर के कपाट खोल दिए गए। रामलला का शृंगार, राग-भोग, आरती व दर्शन का क्रम चलता रहा। बालक राम सहित उत्सव मूर्ति की मनमोहक छवि के दर्शनकर भक्त मंत्रमुग्ध होते रहे।
अयोध्या में आए रामभक्तों मौसम की गर्मी से बचाने के लिए जगह-जगह पानी और शरबत के स्टॉल लगाए गए थे।
अयोध्या पहुंचे रामभक्तों ने पहले सरयू में स्नान किया और फिर हनुमानगढ़ी और रामलला के दर्शन किए।
इस दौरान रामपथ पर मौजूद रामभक्तों पर ड्रोन से सरयू के जल का छिड़काव किया गया।
सुबह विधि विधान से रामलला का अभिषेक किया गया और पंचद्रव्यों से स्नान कराया गया।
इस दौरान मंत्रोच्चार होता रहा और श्रद्धालु भी दर्शन करते रहे।
आयोजन को सफल बनाने के लिए पहले से ही पूरी योजना तैयार कर ली गई थी।
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन के बाद यह दूसरा अवसर है जब अयोध्या में इस तरह रामनवमी मनाई गई है।
नन्हा भक्त बजरंगबली का ध्वज लेकर खुशी जाहिर करता हुआ।
अयोध्या में स्थानीय लोगों ने भी दूर-दूर से आए रामभक्तों को जलपान कराया और शरबत पिलाया।
राममंदिर में दर्शन के लिए लाइन में लगे रामभक्त।
जो लोग चलने में असहाय थे उन्हें इस तरह दर्शन के लिए ले जाया गया।
महाराष्ट्र से आए रामभक्तों ने मुख्य द्वार पर माथा टेका और फिर रामलला के दर्शन किए।
राममंदिर के अंदर का सुबह के समय का एक दृश्य।
तापमान अधिक होने के कारण रामलला के दर्शन करने आए रामभक्त परेशान दिखे।