जहां संसाधन सीमित हों और सपने बड़े हों, वहीं से असली खिलाड़ी निकलते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की खुशबू निषाद ने यही साबित किया। सीमित सुविधाओं और सामाजिक दबाव के बावजूद उन्होंने एशियाई मंच पर भारत का तिरंगा ऊंचा किया और IMMAF Asia MMA Championship में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। वह पहली भारतीय एथलीट हैं, जिन्होंने MMA चैंपियनशिप में भारत के नाम पर जीत दर्ज कराई है।
खुशबू निषाद का शुरुआती जीवन
खुशबू निषाद का जन्म प्रयागराज के एक साधारण परिवार में हुआ। बचपन से ही खेलों के प्रति रुचि थी, लेकिन लड़कियों के लिए मार्शल आर्ट्स को लेकर समाज की सोच आसान नहीं थी। बावजूद इसके खुशबू ने पढ़ाई के साथ-साथ खेल को चुना, क्योंकि उनके लिए खेल सिर्फ शौक नहीं, आत्मसम्मान का रास्ता था। 12 साल की उम्र में खुशबू ने भाई के साथ जूडो सिखना शुरू किया। और फिर इसे ही करियर बना लिया। पिता ने हमेशा बेटी को प्रोत्साहित किया। इसका परिणाम था कि खूशबू की जीत की एक बड़ी वजह उनकी कलाई पर लिखा पिता का नाम था, जिसने उन्हें रिंग में भी ताकत दी।
MMA से पहली मुलाकात
खुशबू के लिए मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) जैसे कठिन खेल में कदम रखना आसान नहीं था। सीमित ट्रेनिंग संसाधन, आर्थिक दिक्कतें और अभ्यास के दौरान चोटें, इन सबने खुशबू की परीक्षा ली। लेकिन उन्होंने हर हार को सीख और हर चोट को ताकत में बदला।
IMMAF एशियाई चैंपियनशिप में रचा इतिहास
खुशबू निषाद ने IMMAF Asia MMA चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। यह जीत सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, यह भारतीय महिला MMA और उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का क्षण था। तकनीक, धैर्य और रणनीति तीनों में खुशबू ने खुद को श्रेष्ठ साबित किया। खुशबू निषाद का सपना सिर्फ मेडल जीतना नहीं, बल्कि भारत में महिला MMA को नई पहचान दिलाना है। वह चाहती हैं कि छोटे शहरों की लड़कियाँ भी यह जानें लड़ना कमजोरी नहीं, आत्मसम्मान की पहचान है।








