खंडवा / मध्ययप्रदेश: बिलबॉन्ग स्कूल की करतूत पर गृहमंत्री नरोत्‍तम मिश्रा चुप क्यों?,स्कूल में लगे हैं हाई प्रोफाईल लोगों के शेयर.

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मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। बलात्कार, चोरी, डकैती, मार-काट जैसी आपराधिक घटनाओं को रोकने में पुलिस प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि पिछले दिनों शहर के बड़े स्कूलों में शामिल बिलाबांग हाई इंटरनेशनल स्कूल में साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ हुई शर्मनाक हरकत। स्कूल प्रबंधन से लेकर पुलिस प्रशासन यहां तक कि प्रदेश के गृहमंत्री सबकी नाक के नीचे इस तरह का खेल चल रहा है और सभी महज मूकदर्शक बने बैठे हुए हैं। इस तरह की घटनाएं प्रदेश के स्कूल प्रबंधन की सक्रियता पर सवालियां निशान तो खड़ा किया साथ ही प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती हैं। इस पूरी घटना में स्कूल से लेकर कानून व्यवस्था तक सब कुछ पूरी तरह से बेपर्दा हो गए। अब देखना यह है कि क्या इस घटना के बाद प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा क्या कदम उठाते हैं जिससे आने वाले समय में स्कूलों में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
सूत्रों का कहना है कि बिलबॉन्ग स्कूल में हाई प्रोफाईल लोगों के शेयर लगे हुए हैं। जिसमें बालीबुड स्‍टार शाहरूख खान जैसे नाम शामिल हैं। वहीं राजनीतिक रसूख रखने वाले लोगों के भी पैसे भी इस स्‍कूल में लगे हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि हाईप्रोफाइल संस्‍था होने के कारण प्रदेश के गृहमंत्री भी इस घटना को हल्‍के में ले रहे हैं।
*प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बेहद हुए नाराज*
बताया जा रहा है कि बिलाबांग स्कूल में मासूम बच्ची के साथ हुई इस घटना की जानकारी मुख्यमंत्री निवास से लेकर पीएमओ तक पहुंची है। दोनों ही प्रदेश के गृहमंत्री द्वारा अनियंत्रण होती कानून व्यवस्था को लेकर बेहद नाराज है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी श्योपुर यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की जानकारी मांगी और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री की नाराजगी इस स्तर तक बढ़ी कि उन्होंने खुद गृहमंत्री से बगैर रायशुमारी किये स्कूल प्रबंधन, स्कूल प्रिंसिपल सहित आरोपी पर एफआईआर दर्ज करने और जांच करने के निर्देश दे दिये। मुख्यमंत्री का सख्त रवैया इस बात को स्पष्ट करता है कि प्रदेश की कानून व्यवस्था संभालना प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बस की बात नहीं।
*स्कूल प्रबंधन की चुप्पी पर मिश्रा की चुप्पी क्यों?*
शहर के बड़े स्कूलों में शामिल बिलॉबांग स्कूल में बच्ची के साथ हुई इस शर्मनाक घटना ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कई बड़े सवाल खड़े कर दिये हैं। इनमें बड़ा सवाल यह है कि जब स्कूल बस में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था तो घटना के बाद प्रबंधन ने डीवीआर के साथ छेड़छाड़ क्यों की। दूसरा सवाल क्या प्रबंधन नियमित तौर पर स्कूल बस में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चेक नहीं करता। तीसरा और गंभीर सवाल अगर बच्ची के साथ दुष्कर्म ड्राइवर ने किया तो फिर ड्राइवर खुद पुलिस के पास सरेंडर करने क्यों गया। जबकि उसके पास भाग जाने का भरपूर समय था। इन सवालों के बाद स्कूल प्रबंधन की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध नजर आती है। इससे साफ तौर पर समझ आता है कि बच्ची के साथ यह शर्मनाक हरकत बस में नहीं बल्कि स्कूल परिसर के अंदर हुआ है। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए स्कूल प्रबंधन ने इस पूरे मामले का ठीकरा स्कूल बस ड्राइवर के ऊपर फोड़ने का प्रयास किया है। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी घटना के बाद लगातार बयानबाजी कर रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बच्ची के साथ हुई इस घटना की जानकारी न तो नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया में दी और न ही उन्होंने कोई बयान दिया। इसका आशय साफ है कि इस पूरे मामले में नरोत्तम मिश्रा की भूमिका भी संदिग्ध है। वे स्कूल प्रबंधन के साथ मिलकर इस पूरे मामले को रफा-दफा करने में जुट गए हैं।
*स्‍टॉफ को नौकरी से निकाल रहा प्रबंधन*
स्कूल प्रबंधन की भूमिका तब और संदिग्ध नजर आती है जब घटना के बाद प्रबंधन ने एडमिन में काम करने वाले सात से अधिक लोगों को स्कूल न आने का फरमान जारी कर दिया। यानि प्रबंधन द्वारा लिये गये इस निर्णय से साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं स्कूल परिसर का इस पूरी घटना से जुड़ाव है। पुलिस की पूछताछ में एडमिन के लोगों के बयान हो इसलिए प्रबंधन ने उन्हें फोर्सफुली छुट्टी पर भेज दिया। कुल मिलाकर देखा जाए तो अब इस मामले में कहीं न कहीं पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। पुलिस की संदिग्ध भूमिका का बड़ा कारण है गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का दबाव। वे खुद नहीं चाहते कि स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही हो और स्कूल का नाम खराब हो। यही नहीं बताया तो यह भी जा रहा है कि प्रबंधन और नरोत्तम मिश्रा के दबाव में बच्ची के माता-पिता भी आ गए है तभी उन्होंने पहले दिन के बाद से ही मीडिया में बयान देना बंद कर दिया है।
*पहले भी हुए मामले लेकिन गृहमंत्री ने किया नजरअंदाज*
बिलाबांग स्कूल में मासूम बच्ची के साथ जो घटा है वह इससे पहले भी अन्य स्कूलों में मासूम बच्चियों के साथ हुआ है। लेकिन उस केस में न तो स्कूल प्रबंधन ने और न ही प्रदेश के गृहमंत्री ने पुलिस प्रशासन को मुस्तैदी दिखाने का आदेश दिया, जिसके कारण यह घटनाएं बढ़ती रही। इसका नतीजा यह रहा है कि अब साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ इस दरिंदगी की घटना सामने आई है। अगर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा थोड़ा संजीदा होकर प्रदेश की कानून व्यवस्था को संभालते तो इस तरह की घटना होती ही नहीं।
*अपने मुख्यमंत्री के आदेशों का उल्‍लंघन करते है गृहमंत्री*
बिलबॉन्ग मामले में भी मामला सामने आने पर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री ने संजीदा होकर सुबह ही इस मामले में बैठक ली और कार्यवाही करने के आदेश दिये। इससे इतर प्रदेश के गृहमंत्री ने मामले को ठंडे बस्‍ते में डालते हुए एक एसआईटी गठित कर दी और आरोपी ड्राइवर और आया को गिरफ्तार कर लिया। जबकि इस मामले में पूरी साजिश बिलबॉन्ग स्‍कूल प्रबंधन की दिखती है जैसे उन्‍होंने डीवीआर नष्‍ट कर दी और मामले की शिकायत जब स्‍कूल के ही एक शिक्षिका ने की तो उसे आनन-फानन में नौकरी से निकाल दिया। इस मामले में तुरंत ही स्‍कूल प्रबंधकों के ऊपर एफआइआर दर्ज कर स्‍कूल की मान्‍यता रद्द कर दी जानी थी। पर प्रदेश के गृहमंत्री बॉलीबुड, चीता पर्यटन, दंगाई राजनीति और कांग्रेस पर उलजलूल बयान और राजनीति करने में व्‍यस्‍त रहे।
प्रदेश के बेहतर संचालन के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सभी जिम्मेदारी मंत्रियों को उनके विभागों का बंटवारा इस उम्मीद के साथ किया था कि सभी मंत्री पूरी जिम्मेदारी के साथ अपने कार्य का दायित्व संभालेंगे। लेकिन गृह मंत्रालय में फिलहाल ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का ध्यान कतई कानून व्यवस्था को दुरस्त करने में नहीं है। वे केवल रोज सुबह मीडिया के साथियों के साथ चर्चा करने, दिन भर मुख्यमंत्री पद के सपने बुनने और तिकड़मबाजी में पूरा दिन व्यतीत कर देते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुद आगे आकर अब कानून व्यवस्था को अपने हाथ में लेना पड़ रहा है। अगर नरोत्तम मिश्रा का यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनसे गृहमंत्री के पद का इस्तीफा ले लेंगे।
*परिवहन मंत्री ने उठाया सराहनीय कदम*
प्रदेश के परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस पूरी घटना के बाद स्कूल प्रबंधन को स्पष्ट तौर पर चिट्ठी जारी कर निर्देश दिये हैं कि अब हर स्कूल प्रबंधन को हर महीने बस की फिटनेस रिपोर्ट, उसकी सुरक्षा व्यवस्था संबंधी सर्टिफिकेट परिवहन विभाग से प्राप्त करना होगा। अगर किसी भी स्कूल प्रबंधन ने इस दिशा में लापरवाही बरती को इसमें स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कानूनन कार्यवाही की जायेगी।

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