
देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश बने धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में अपना एक महीना पूरा कर लिया। न्यायाधीश चंद्रचूड़ के फैसले जितने मजबूत और तार्किक होते हैं, उतनी ही बेबाकी के साथ वे असहमति भी जताते हैं। वह पहले ही कह चुके हैं कि अदालतों का काम कानूनी जवाबदेही के साथ अत्याचार दूर करना है। कई बार उन्होंने फैसलों में पीठ से अलग राय रखी है।
अपने एक महीने के कार्यकाल में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने दूरगामी प्रभाव वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए चाहे वह समलैंगिक जोड़ों के विवाह के अधिकार की जांच करने का निर्णय का फैसला हो या वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में ‘शिवलिंग’ होने के दावे के बाद उस क्षेत्र की सुरक्षा से संबंधित लिया गया फैसला हो। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को न्यायपालिका के डिजिटलीकरण के लिए कदम उठाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट का मोबाइल ऐप 2.0 लॉन्च की पहल की थी। जिसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एंड्रॉयड फोन ऐप्लिकेशन का 2.0 संस्करण लॉन्च किया। यह ऐप्लिकेशन कानून अधिकारियों और केंद्रीय मंत्रालयों के नोडल अधिकारियों को रियल टाइम में अदालती कार्यवाही को देखने की सुविधा देगा।
इसके अलावा, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आपराधिक अपील, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर और भूमि अधिग्रहण मामलों और मोटर दुर्घटना दावा मामलों की सुनवाई के लिए चार विशेष बेंच स्थापित करने का भी निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को नौ नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 50वें सीजेआई के रूप में शपथ दिलाई गई थी। वहीं इससे पहले जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों और ऐतिहासिक फैसलों जैसे अयोध्या मुद्दे का हिस्सा रहे हैं।