
सुशीला तिवारी अस्पताल में 25 दिन बाद एचआईवी जांच किट पहुंच गई। इससे मरीजों ने राहत महसूस की। यहां हर रोज 45 से 50 मरीजों की एचआईवी जांच निशुल्क होती है। इस दौरान किट न होने के कारण 1225 मरीजों को बगैर जांच के यहां से बैरंग लौटना पड़ा था।
सभी सरकारी अस्पतालों में एचआईवी की जांच निशुल्क होती है। सुशीला तिवारी अस्पताल में 2300 से 2500 तक ओपीडी प्रतिदिन होती है। इनमें अधिकांश मरीजों को विभिन्न तरह की जांच के लिए सलाह दी जाती है, एचआईवी जांच भी की जाती है। बाहर से किट न आने के कारण यहां पिछले 25 दिन से जांच बंद थी। बीते बुधवार को भी करीब 40 मरीज एचआईवी जांच के लिए पहुंचे तो जांच किट न होने के कारण लौटना पड़ा था। मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. उमेश ने बताया कि केंद्र से किट उत्तराखंड स्टेड एड्स कंट्रोल सोसायटी को आती है और वहां से विभिन्न जिलों के अस्पतालों को सप्लाई होती है। बृहस्पतिवार को किट आ चुकी हैं।
यह है किट का उपयोग
एचआईवी किट एक मेडिकल टेस्ट किट है। इसका उपयोग एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफ़िशिएंसी वायरस) के संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। एचआईवी एक वायरस है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है और एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफ़िशिएंसी सिंड्रोम) का कारण बन सकता है। एचआईवी किट के कई प्रकार हैं, जिनमें रैपिड टेस्ट किट जो कि रक्त या लार के नमूने का उपयोग करके एचआईवी का संक्रमण का पता लगाती हैं। एलिसा टेस्ट किट रक्त के नमूने का उपयोग करके एचआईवी के संक्रमण का पता लगाती हैं। एचआईवी किट से परिणाम जल्द मिल जाते हैं।