जीएसटी वसूली में मई महीने में रिकॉर्ड टूट गया है। मई महीने में 2,01,050 करोड़ रुपये जीएसटी वसूली हुई। इस महीने में पिछले साल के मुकाबले 16.4 फीसदी अधिक जीएसटी संग्रह किया गया।
इससे पहले अप्रैल महीने में सालाना आधार पर 12.6 प्रतिशत बढ़कर 2.37 लाख करोड़ के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2024 में वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपये था। यह 01 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद दूसरा सबसे अधिक संग्रह था। मार्च 2025 में जीएसटी संग्रह 1.96 लाख करोड़ रुपये रहा था।
मार्च महीने में 9.9 फीसदी की हुई थी बढ़ोतरी
वहीं मार्च में सकल जीएसटी संग्रह 9.9 प्रतिशत बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। मार्च में घरेलू लेनदेन से जीएसटी राजस्व 8.8 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयातित वस्तुओं से राजस्व 13.56 प्रतिशत बढ़कर 46,919 करोड़ रुपये हो गया।
घरेलू और आयात से राजस्व में बढ़ोतरी
घरेलू लेन-देन से जीएसटी संग्रह 13.7% बढ़कर करीब 1.50 लाख करोड़ रुपये हुआ। वहीं आयात पर जीएसटी राजस्व 25.2% की तेज बढ़ोतरी के साथ 51,266 करोड़ रुपये रहा। वहीं शुद्ध जीएसटी संग्रह ₹1.74 लाख करोड़ रहा, जो कि पिछले साल मई की तुलना में 20.4% अधिक है। वहीं कुल रिफंड मई 2025 में 4% घटकर ₹27,210 करोड़ हुआ।
जीएसटी के कई हिस्सों से राजस्व
- केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी): ₹35,434 करोड़
- राज्य जीएसटी (एसजीएसटी): ₹43,902 करोड़
- एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी): ₹1.09 लाख करोड़ (जिसमें ₹44,735 करोड़ आयात पर वसूला गया)
- उपकर (सेस): ₹12,879 करोड़
पिछले साल की तुलना
मई 2024 में जीएसटी संग्रह ₹1.72 लाख करोड़ था। इस साल मई में यह बढ़कर ₹2.01 लाख करोड़ से अधिक हो गया, जो कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार और बेहतर कर अनुपालन को दर्शाता है।
राज्यों में संग्रह का हाल
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि जीएसटी संग्रह में राज्यों के बीच काफी अंतर देखा गया है। इसका मुख्य कारण राज्यों की आर्थिक गतिविधियों में विविधता और कई सेक्टरों का योगदान हो सकता है। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में 17% से 25% तक की बढ़ोतरी हुई। वहीं, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे अन्य बड़े राज्यों में यह बढ़ोतरी सिर्फ छह फीसदी तक सीमित रही। मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में करीब 10% की औसत बढ़ोतरी हुई। एमएस मणि ने आगे कहा, ‘जीएसटी संग्रह की यह औसत बढ़ोतरी सभी राज्यों में समान नहीं दिखती। इसके पीछे मौसमी प्रभाव या सेक्टर आधारित कारण हो सकते हैं, जिनका विस्तृत डाटा-आधारित विश्लेषण जरूरी है।’