
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने वर्ष 2021-22 के दौरान फेक न्यूज फैलाने के आरोप में 94 यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाया है। इसके साथ ही 19 सोशल मीडिया अकाउंट और 747 यूआरएल को भी प्रतिबंधित किया है। राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए ठाकुर ने कहा कि ये कार्रवाई सूचना तकनीक एक्ट 2000 की धारा 69ए के तहत की गई है।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर फेक न्यूज और प्रोपगैंडा फैलाकर देश की संप्रभुता के खिलाफ काम करने वाली एजेंसियों पर सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है। ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 से जुड़ी फर्जी खबरों को रोकने के लिए 31 मार्च 2020 में प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो की फैक्ट चेकिंग यूनिट बनाई गई थी। इस यूनिट ने कुल 34,125 सवालों पर कार्रवाई की थी जिसमें कोविड -19 से जुड़े सवाल भी थे। उन्होंने कहा कि पीआईबी ने फर्जी खबरों और अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 875 पोस्ट के खिलाफ भी कार्रवाई की थी।
विपक्ष को दिया करारा जवाब
अनुराग ठाकुर ने विपक्षी दलों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को यह मसला संसद की बजाय जीएसटी परिषद में उठाना चाहिए था। गैर भाजपा शासित सरकारें जीएसटी परिषद की बैठकों में जाते हैं और वहां अपनी समस्याएं नहीं उठाते हैं, लेकिन यहां विरोध और प्लेकार्ड दिखाने चले आते हैं। उन्होंने कोरोना टीका और अग्निपथ योजना को लेकर जनता के बीच भ्रम फैलाने के लिए कुछ विपक्षी नेताओं की आलोचना की। इसके बावजूद देश में 200 करोड़ कोरोना टीके की खुराक लगाई जा चुकी हैं। हालांकि, इस दौरान उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया।
उन्होंने कहा कि कुछ निर्वाचित सदस्य और पूर्व जनप्रतिनिधि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी, कोरोना टीकाकरण और सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को लेकर जनता के बीच भ्रम उत्पन्न करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह उनसे अपील करते हैं कि वे फर्जी प्रोपगेंडा में शामिल न हों। साथ ही मीडिया से भी ऐसे बयानों को तवज्जो न देने का आग्रह किया।
सरकार ने वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स को खारिज किया
इस बीच सरकार ने गुरुवार को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स को खारिज कर दिया है। सरकार ने संसद में कहा कि रिपोर्टर विदआउट बॉर्डर द्वारा जो निष्कर्ष निकाला गया है, वह वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स से मेल नहीं खाता। इंडेक्स में भारत को 180 में से 150वां स्थान दिया गया था। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि सरकार विभिन्न संगठनों द्वारा निकाले गए निष्कर्षों से सहमत नहीं है, क्योंकि इसमें सैंपल का आकार बहुत ही कम है। इसमें लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को भी तवज्जों नहीं दी गई है। इसके लिए जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया है, उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।